हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने उपायुक्त सोलन को कैथलीघाट में फोरलेन की निशानदेही करने के दिए आदेश
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने उपायुक्त सोलन को कैथलीघाट में फोरलेन की निशानदेही करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने डीसी से निशानदेही की रिपोर्ट तलब की है। अदालत ने मामले की सुनवाई 28 मार्च को निर्धारित

यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन 17-03-2023
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने उपायुक्त सोलन को कैथलीघाट में फोरलेन की निशानदेही करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने डीसी से निशानदेही की रिपोर्ट तलब की है। अदालत ने मामले की सुनवाई 28 मार्च को निर्धारित की गई है।
अदालत को बताया गया कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने उपायुक्त सोलन के समक्ष निशानदेही के लिए आवेदन किया था। लेकिन, अभी तक निशानदेही नहीं की गई है। अदालत के ध्यान में लाया गया कि राजस्व विभाग की ओर से निशानदेही न करने के कारण फोरलेन निर्माण में देरी हो रही है।
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने परवाणू से कैथलीघाट तक फोरलेन को दिसंबर 2023 तक पूरी तरह से चालू करने का बयान हाईकोर्ट के समक्ष दिया था। बता दें कि कालका-शिमला फोरलेन पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का ड्रीम प्रोजेक्ट था। लेकिन, पिछले तीन सालों से कैथलीघाट-ढली के हिस्से का निर्माण कार्य शुरू ही नहीं हो पाया है।
पहले भूमि अधिग्रहण के चलते काम लटका रहा। कालका से कैथलीघाट तक निर्माण कार्य अवैध कब्जों के कारण पूरा नहीं हो रहा है। कैथलीघाट से ढली तक 28.4 किमी लंबे फोरलेन के हिस्से का कार्य दो पैकेजों में तय किया गया है। इस पर 3,716.26 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। फोरलेन के दूसरे पैकेज के निर्माण के लिए 1956.26 करोड़ बजट की स्वीकृति दी गई है।
प्रदेश हाईकोर्ट ने नाचन के सिविल अस्पताल में बिस्तर क्षमता 100 से 50 बेड करने पर कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत ने मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब तलब किया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 20 मार्च को निर्धारित की है।
नाचन विधानसभा क्षेत्र के विधायक विनोद कुमार ने जनहित में याचिका दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि नाचन के सिविल अस्पताल में 100 से 50 बिस्तर करने का फैसला जनहित में नहीं है। आरोप लगाया गया है कि जहां सरकार को जनता के हितों की रक्षा करते हुए निर्णय लेना चाहिए, वहीं सरकार संस्थानों को द्वेष की भावना से बंद कर रही है।
अदालत के समक्ष दलील दी गई कि पूर्व सरकार ने 30 सितंबर 2022 को नाचन अस्पताल के बिस्तरों की संख्या 50 से बढ़ाकर 100 कर दी थी। करीब एक लाख लोगों के हितों की रक्षा के लिए इस अस्पताल में डॉक्टरों की संख्या भी बढ़ा दी गई थी। सरकार ने 30 पदों को स्वीकृत किया था।
अदालत के समक्ष दलील दी गई कि कोविड काल में हाईकोर्ट ने अस्पतालों में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के आदेश दिए थे। आरोप लगाया गया है कि सरकार को जहां अस्पताल में डॉक्टरों के रिक्त पदों को भरने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए, वहीं नाचन अस्पताल में बिस्तरों की संख्या कम कर कर दी गई है।
अदालत को बताया गया कि इस अस्पताल में आसपास के लगभग एक लाख लोग उपचार के लिए आते है। इसके बाद दूसरा अस्पताल 24 किलोमीटर दूर नेरचौक में है। याचिकाकर्ता ने नाचन अस्पताल में बिस्तरों की संख्या कम करने के फैसले को रद्द करने की गुहार लगाई है।