आरटीओ शिमला कार्यालय में वाहनों के पंजीकरण में बड़े गड़बड़झाले का मामला,विजिलेंस की प्रारंभिक जांच से चला पता
आरटीओ शिमला कार्यालय में वाहनों के पंजीकरण में बड़े गड़बड़झाले का मामला सामने आया है। विजिलेंस ब्यूरो की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि चार ट्रकों को फर्जी दस्तावेजों और बिना भौतिक सत्यापन के आरसी जारी

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 14-10-2025
आरटीओ शिमला कार्यालय में वाहनों के पंजीकरण में बड़े गड़बड़झाले का मामला सामने आया है। विजिलेंस ब्यूरो की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि चार ट्रकों को फर्जी दस्तावेजों और बिना भौतिक सत्यापन के आरसी जारी कर दी गईं।
विजिलेंस ने इस मामले में वाहन मालिकों, निजी कंपनियों समेत अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्जकर मामले की छानबीन शुरू कर दी है। मामले में आरटीओ कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता को लेकर भी गहनता से जांच की जा रही है।
विजिलेंस की जांच के मुताबिक एचपी 63 डी 5642, एचपी 63 डी 5842, एचपी 63 एफ 2342 और एचपी 63 डी 3842 नंबर ट्रक अशोक लीलैंड कंपनी की अंबाला की एक एजेंसी से खरीदे गए।
इसके बाद चेसिस पर टैंकर फ्रेब्रिकेशन का काम साई फेब्रिकेशन एंड इंजीनियरिंग वर्क्स हिसार और सूर्या टैंक एंड एलाइड इंडस्ट्रीज पठानकोट ने किया। वाहन मालिकों ने दावा किया कि इन ट्रकों को शिमला में भौतिक सत्यापन (किसी व्यक्ति, संपत्ति या दस्तावेज का वास्तविक निरीक्षण) के लिए लाया था।
इस दौरान टोल टैक्स का भुगतान नकद में चालकों ने किया। लेकिन टोल रसीदें उपलब्ध नहीं हैं। उस समय इन वाहनों के अस्थायी नंबर टी 0724 एचआर 1112 बीबी, टी 0724 एचआर 3440 बीबी, टी 724 एचआर 3447 बीबी, और टी 0724 एचआर 3699 एजेड थे।
विजिलेंस ने मामले की छानबीन की तो पता चला कि 17 जुलाई से 21 जुलाई के बीच सनवारा टोल बैरियर परवाणू से इनमें से कोई भी वाहन गुजरा ही नहीं। इस समय अवधि में चारों वाहनों को भौतिक सत्यापन के लिए शिमला लाने का दावा किया था, उस समय सभी ट्रकों में अस्थायी नंबर प्लेट लगी थीं।
प्रारंभिक जांच में आए तथ्यों से पता चला कि वाहनों को शिमला में भौतिक सत्यापन के लिए लाया ही नहीं गया। आरोप है कि आरटीओ शिमला कार्यालय ने बिना सत्यापन के पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किए। साई फेब्रिकेशन पर वाहन मालिकों के साथ मिलकर फर्जी रिकॉर्ड तैयार करने के आरोप हैं।
इसमें ट्रकों की कारखाने में आने की तारीख को अशोक लीलैंड अंबाला की ओर से जारी गेट पास की तारीख से दो दिन पहले का दिखाया गया। मामले में आरटीओ कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। इसको लेकर भी विजिलेंस छानबीन कर रही है।
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