भाई बहन के अटूट प्रेम का प्रतिक है भैया दूज कब है मंगल तिलक का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जानिए 

भाई दूज का पावन पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम, स्नेह और सुरक्षा के बंधन का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई बहनों को स्नेह और रक्षा का वचन देते हैं। जवाली के ज्योतिषी पंडित विपिन शर्मा ने बताया कि इस साल भैया दूज का पर्व 23 अक्टूबर के दिन गुरुवार को मनाया जाएगा

Oct 18, 2025 - 19:16
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भाई बहन के अटूट प्रेम का प्रतिक है भैया दूज कब है मंगल तिलक का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जानिए 
 यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  18-10-2025

भाई दूज का पावन पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम, स्नेह और सुरक्षा के बंधन का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई बहनों को स्नेह और रक्षा का वचन देते हैं। जवाली के ज्योतिषी पंडित विपिन शर्मा ने बताया कि इस साल भैया दूज का पर्व 23 अक्टूबर के दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर की रात 8:16 बजे से शुरू होकर 23 अक्टूबर की रात 10:46 बजे तक रहेगी जिस कारण 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। 
इस दिन भाई को तिलक करने का सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे तक का रहेगा। बहनों को लगभग 2 घंटे 15 मिनट का समय मिलेगा। भाई दूज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। यदि संभव हो तो यमुना नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। स्नान के बाद भगवान गणेश और यम देवता की पूजा करें। पूजा के बाद भाई को पूर्व या उत्तर दिशा में बिठाकर उसके सिर पर रुमाल रखें और रोली, चावल (अक्षत) से तिलक लगाएं। इसके बाद भाई के हाथ में कलावा बांधें, उसे मिठाई खिलाएं और दीप जलाकर उसकी आरती करें। अंत में भाई अपनी बहन के पैर छूकर आशीर्वाद लें। पौराणिक मान्यता के अनुसार, सूर्यदेव की पुत्री यमुना अपने भाई यमराज को बहुत प्यार करती थीं। 
वह अक्सर भाई को अपने घर भोजन के लिए बुलाती थीं, लेकिन यमराज अपने कामों में व्यस्त रहते थे और नहीं जा पाते थे। एक दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर पहुंचे। यमुना ने उनका आदर-सत्कार किया, माथे पर तिलक लगाया और स्वादिष्ट भोजन कराया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से वर मांगने को कहा। यमुना ने कहा कि जो भी बहन अपने भाई का तिलक इस दिन करे, उसके भाई की उम्र लंबी हो और जीवन में कभी अकाल मृत्यु न आए। यमराज ने यह वरदान दे दिया और तभी से भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हुई।

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