मरीजों के जीवन खिलवाड़ कर रही दवा निर्माता कंपनियां , हिमाचल में बनी 58 दवाएं सब-स्टैंडर्ड , सीडीएससीओ की रिपोर्ट में खुलासा

देशभर में निर्मित दवाओं की गुणवत्ता को लेकर एक बार फिर से गंभीर स्थिति सामने आई है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ( सीडीएससीओ ) द्वारा जून माह के लिए जारी ड्रग अलर्ट में कुल 188 दवाओं के सैंपल जांच में फेल हुए हैं, जिनमें से 58 दवाएं हिमाचल प्रदेश के 31 दवा उद्योगों में निर्मित पाई गई हैं। इस रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इनमें से तीन दवाएं पूरी तरह नकली पाई गई हैं

Jul 19, 2025 - 11:51
Jul 19, 2025 - 11:59
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मरीजों के जीवन खिलवाड़ कर रही दवा निर्माता कंपनियां , हिमाचल में बनी 58 दवाएं सब-स्टैंडर्ड , सीडीएससीओ की रिपोर्ट में खुलासा

यंगवार्ता न्यूज़ - बीबीएन  19-07-2025

देशभर में निर्मित दवाओं की गुणवत्ता को लेकर एक बार फिर से गंभीर स्थिति सामने आई है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ( सीडीएससीओ ) द्वारा जून माह के लिए जारी ड्रग अलर्ट में कुल 188 दवाओं के सैंपल जांच में फेल हुए हैं, जिनमें से 58 दवाएं हिमाचल प्रदेश के 31 दवा उद्योगों में निर्मित पाई गई हैं। इस रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इनमें से तीन दवाएं पूरी तरह नकली पाई गई हैं। जानकरी के अनुसार सीडीएससीओ और राज्य लैबों की रिपोर्ट में हिमाचल के 31 उद्योगों में बनी 58 दवाएं गुणवत्ता में फेल पाई गई।
इनमें से 23 दवाएं सीडीएससीओ की लैबए और शेष राज्य प्रयोगशालाओं की रिपोर्ट में फेल घोषित की गई। जिन औद्योगिक क्षेत्रों से ये दवाएं संबंधित हैं। उनमें बद्दी , बरोटीवाला , कालाअंब , पांवटा साहिब , परवाणू , सोलन , ऊना और संसारपुर टैरेस प्रमुख हैं। सिर्फ हिमाचल ही नहीं , गुजरात , उत्तराखंड , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश , हैदराबाद , चेन्नई और जम्मू जैसे राज्यों में स्थित दवा इकाइयों में बनी 127 दवाएं भी सबस्टैंडर्ड पाई गई हैं। राज्य में बनी जिन 58 दवाओं के सैंपल जांच में फेल हुए हैं, वे गंभीर और आम बीमारियों के इलाज में दी जाने वाली दवाएं हैं।
जिनमें हृदय रोग की दवाएं , मधुमेह नियंत्रक , एसिडिटी और पेप्टिक अल्सर रोग , जीवाणु संक्रमण के एंटीबायोटिक्स , दर्द और सूजन निवारक , खांसी की सिरप्स (सूखी व बलगमी खांसी) , आयरन और मल्टीविटामिन सप्लीमेंट्स , उच्च रक्तचाप व एनीमिया से संबंधित दवाएं।शामिल है। जांच में जिन दवाओं को फेल घोषित किया गयाए उनमें कई गंभीर निर्माण दोष पाए गए जैसे सक्रिय तत्त्वों की कमी , गलत लेबलिंग, अनुचित पीएच स्तर, डिसइंटिग्रेशन टेस्ट में विफलतासॉल्युबिलिटी व कंटेंट यूनिफॉर्मिटी में गड़बड़ी शामिल है।

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