यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 19-07-2025
हिमाचल सरकार ने अपनी ही कैबिनेट के फैसले को बदलते हुए किशाऊ डैम प्रोजेक्ट पर अब तीन शर्तें लगा दी हैं। बीबीएमबी एरियर पर हिमाचल का हक लेने के लिए राज्य सरकार ने यह सख्त रुख अपनाया है। करीब 600 मेगावाट का किशाऊ प्रोजेक्ट सिरमौर जिला में बन रहा है, जिससे हरियाणा को पानी चाहिए। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देश पर इस परियोजना पर हुई बैठक के लिए ऊर्जा सचिव राकेश कंवर दिल्ली गए थे। दिल्ली में 17 जुलाई को यह बैठक कैबिनेट सचिवालय में हुई। इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय महत्त्व का दर्जा हासिल है। इसमें हिमाचल की तरफ से तीन प्रमुख शर्तें लगाई गई हैं। हिमाचल ने कहा है कि भारत सरकार इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह से फंड करे। यानी हिमाचल इसमें पैसा नहीं लगाएगा। बिजली और पानी कंपोनेंट के प्रोजेक्ट की पूरी लागत भारत सरकार ही वहन करे।
परियोजना को उत्तराखंड और हिमाचल के ज्वाइंट वेंचर में बनाया जाए, जिसे पहले ही फंक्शनल कर दिया गया है। दूसरी शर्त हिमाचल की तरफ से रखी गई है कि इस प्रोजेक्ट से पैदा होने वाली बिजली 100 फीसदी हिमाचल और उत्तराखंड में बांटी जाए, जिसमें बराबर की हिस्सेदारी हो। तीसरी शर्त बीबीएमबी एरियर के भुगतान की भी लगा दी गई है। हिमाचल सरकार ने कहा है कि भारत सरकार लंबे समय से लंबित चल रहे इस मसले को सुलझाए, ताकि सुप्रीम कोर्ट में चल रही लड़ाई खत्म हो। केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिवालय में सेक्रेटरी कोआर्डिनेशन को यह पत्र ऊर्जा सचिव राकेश कंवर की ओर से शुक्रवार को भेजा गया। हिमाचल ने कहा है कि इस प्रोजेक्ट पर एग्रीमेंट साइन करने से पहले हिमाचल की ओर से लगाई गई शर्तों पर केंद्र सरकार कार्रवाई करे।
हिमाचल का हक लेने के लिए इस तरह का सख्त कदम किसी सरकार ने पहली बार उठाया है। इससे पहले इसी परियोजना पर 10 जनवरी, 2025 को हुई कैबिनेट की बैठक में हिमाचल सरकार ने किशाऊ बांध परियोजना के विद्युत घटक के लिए 90:10 वित्तपोषण फार्मूला अपनाने का अनुरोध किया था। यह बैठक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में ही हुई थी। तब कैबिनेट ने कहा था कि केंद्र सरकार किशाऊ परियोजना के लिए अंतर-राज्यीय समझौते के तहत विद्युत घटक के लिए राज्य सरकार द्वारा देय संपूर्ण राशि के लिए 50 वर्ष का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करवाए, लेकिन अब सारा खर्चा केंद्र के हिस्से डाला गया है। हिमाचल सरकार ने जो तीन शर्ते लगाई है उनमे पहली शर्त भारत सरकार इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह से फंड करे और परियोजना के निर्माण से जुड़े सारे खर्चे भी उठाए।
दूसरी प्रोजेक्ट से पैदा होने वाली 100 फीसदी बिजली हिमाचल और उत्तराखंड में फिफ्टी-फिफ्टी बांटी जाए और तीसरी शर्त के मुताबिक लंबे समय से लंबित चल रहे बीबीएमबी एरियर के भुगतान के मसले को सुलझाए भारत सरकार। गौर हो कि करीब 7,193 करोड़ रुपए की लागत वाला किशाऊ बांध हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा के बीच बहने वाली टोंस नदी पर प्रस्तावित गुरुत्व डैम है। इस परियोजना में यमुना नदी की सहायक नदी टोंस पर 236 मीटर ऊंचा कंक्रीट का गुरुत्व बांध और 660 मेगावाट क्षमता का एक बिजली घर बनाने की परिकल्पना की गई है। यह मुख्य रूप से टोंस नदी के विशाल मानसूनी जल प्रवाह का दोहन सिंचाई और बिजली के लिए नियंत्रित जल का भंडारण और उपयोग करेगा।