निसंतान दंपतियों की सूनी गोद भरती है माता जैईश्वरी , शोभायात्रा के साथ आरंभ हुआ आठ दिवसीय मेला

कसुपंटी निर्वाचन क्षेत्र की ग्राम पंचायत धरेच के केलिया घाट में जैईश्वरी माता के आठ दिवसीय दशहरा मेले मंगलवार को आरंभ हुए। आठयो अथवा दुर्गाष्टमी के अवसर पर जैईश्वरी माता के प्राचीन मंदिर धरेच से माता की शोभा यात्रा पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ निकाली गई जोकि माता के केलिया घाट स्थित मंदिर में संपन हुई । जिसमें क्षेत्र के सैंकड़ों लोगों ने भाग लिया

Sep 30, 2025 - 19:27
Sep 30, 2025 - 19:53
 0  11
निसंतान दंपतियों की सूनी गोद भरती है माता जैईश्वरी , शोभायात्रा के साथ आरंभ हुआ आठ दिवसीय मेला

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  30-09-2025
कसुपंटी निर्वाचन क्षेत्र की ग्राम पंचायत धरेच के केलिया घाट में जैईश्वरी माता के आठ दिवसीय दशहरा मेले मंगलवार को आरंभ हुए। आठयो अथवा दुर्गाष्टमी के अवसर पर जैईश्वरी माता के प्राचीन मंदिर धरेच से माता की शोभा यात्रा पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ निकाली गई जोकि माता के केलिया घाट स्थित मंदिर में संपन हुई । जिसमें क्षेत्र के सैंकड़ों लोगों ने भाग लिया। देवी के बजीर खानदान के हरिचंद शर्मा ने बताया कि जैईश्वरी माता के मंदिर केलियाघाट में परंपरा के अनुसार हर वर्ष शरद नवरात्रे की दुर्गा अष्टमी से पूर्णमासी तक मेलों का आयोजन किया जाता है। 
दुर्गाष्टमी को जैईश्वरी माता धरेच का केलिया घाट स्थित में प्राचीन मंदिर मौड़ में आगमन होता है जहां पर माता चौदश तिथि तक भक्तों को दर्शन देने के लिए विराजमान रहती है और शरद पूर्णिमा को वापिस अपने मंदिर धरेच में प्रवेश करती है। इस वर्ष सबसे बड़ा दशहरा मेला 3 अक्तूबर को मनाया जा रहा है जिसमें माता के दर्शनों के लिए जन सैलाब उमड़ता है। सबसे अहम बात यह है कि इस मेले में देवी दर्शन ही लोगों के आकर्षण का केंद्र रहते हैं। इसके अलावा मेले में कोई अन्य गतिविधियां नहीं होती। इस मेले में विशेषकर लोग काफी संख्या में अपने छोटे बच्चों को मुंडन करवाने आते हैं। बताया कि जैईश्वरी नगरकोटी माता विशेषकर निसंतान दंपतियों की सूनी गोद निश्चित रूप से भर देती है। 
उन्होने बताया कि अतीत में इस मंदिर में बलि प्रथा हुआ करती थी जिसे बजीर मोती राम शर्मा ने सुप्रीमकोर्ट के आदेशों से पहले ही बंद करवा दिया था। उन्होने बताया कि इस मंदिर में चावल के दाने प्रसाद रूप में दिए जाते हैं जिसे लोग अपने घरों में सहेज कर रखते हैं। उन्होने बताया कि देवी माता के केलियाघाट आने के उपरांत मंदिर में सात जागरे दिए जाते है। जिसमें एक मंदिर समिति की ओर से तथा छह अन्य जागरे बगोल , धारठी , सौंथल , रिहाड़ , बटनाली और खगनाल द्वारा दिए जाते हैं। उन्होने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्थानीय स्तर पर सभी आवश्यक प्रबंध किए गए है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow