पांगी उपमंडल को राज्य का पहला प्राकृतिक खेती उप-मंडल बनाने की घोषणा से क्षेत्र में उत्साह का माहौल

जिला चंबा के पांगी उपमंडल को राज्य का पहला प्राकृतिक खेती उप-मंडल बनाने की घोषणा से क्षेत्र में उत्साह का माहौल है। राज्य सरकार के इस निर्णय से क्षेत्र के लोग अपनी पारंपरिक कृषि पद्धतियों का संरक्षण और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे

Jul 28, 2025 - 12:15
Jul 28, 2025 - 12:16
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पांगी उपमंडल को राज्य का पहला प्राकृतिक खेती उप-मंडल बनाने की घोषणा से क्षेत्र में उत्साह का माहौल

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला    28-07-2025

जिला चंबा के पांगी उपमंडल को राज्य का पहला प्राकृतिक खेती उप-मंडल बनाने की घोषणा से क्षेत्र में उत्साह का माहौल है। राज्य सरकार के इस निर्णय से क्षेत्र के लोग अपनी पारंपरिक कृषि पद्धतियों का संरक्षण और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे। इससे लोगों को आजीविका के स्थायी साधन भी मिलेंगे। 
 
हिमाचल दिवस पर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा की गई घोषणा को पूरा करते हुए, इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है। पांगी घाटी के धनवास निवासी राज कुमार ने कहा कि क्षेत्र के लोग इस निर्णय का लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। इस निर्णय से क्षेत्र के लोग उत्साहित हैं। वर्तमान राज्य सरकार क्षेत्र के लोगों के विकास के लिए अभूतपूर्व कार्य कर रही है। 

रसायनिक खेती से लोगों की जमीन बंजर हो रही थी और पांगी से बाहर रहने वाले कुछ परिवारों ने अपनी जमीन लीज़ पर दी है। सरकार के इस सराहनीय निर्णय से अब लोगों का रूझान अब अपने गांवों की तरफ बढ़ेगा और इससे लोगों का पलायन रूकेगा।

इस अधिसूचना के जारी होने से क्षेत्र के किसानों में आशा की एक नई किरण जगी है और कई किसानों ने प्राकृतिक कृषि पद्धति को अपनाना शुरू कर दिया है। वर्तमान में घाटी में लगभग 2,244 किसान परिवार सक्रिय रूप से रसायन-मुक्त खेती कर रहे हैं और सरकार अब कृषि, बागवानी और अन्य कृषि क्षेत्रों को कवर करते हुए 2,920 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि को शत प्रतिशत प्राकृतिक खेती में बदलने की योजना बना रही है। 

स्थानीय किसानों का कहना है कि यह एक स्वागत योग्य कदम है। प्राकृतिक खेती पद्धति से मृदा स्वास्थ्य में सुधार होता है और शून्य लागत कृषि पद्धति होने से किसानों को आशातीत लाभ मिलता है। उनका कहना है कि प्राकृतिक खेती उप-मंडल बनाने से क्षेत्र में पैदा होने वाले उत्पादों को एक अलग पहचान मिलेगी और बेहतर बाजार उपलब्ध होगा।

पुंटो गांव की शीला देवी और सुनीता कुमारी का कहना है कि वे साधन संपन्न नहीं हैं, इसलिए वे अपने उद्यम स्थापित नहीं कर सकते हैं। यहां लोगों के पास छोटे-छोटे खेत हैं, जिस पर वे रसायन मुक्त कृषि पद्धति को अपनाकर आने वाली पीढ़ियों के सामने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं।

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