प्रदेश हाईकोर्ट केअतिक्रमित वन भूमि पर उगाए सेब के पेड़ काटने के आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय ने लगाई रोक
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के 2 जुलाई 2025 के अतिक्रमित वन भूमि पर उगाए सेब के पेड़ काटने के आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को रोक लगा दी

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 28-07-2025
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के 2 जुलाई 2025 के अतिक्रमित वन भूमि पर उगाए सेब के पेड़ काटने के आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने पूर्व उपमहापौर टिकेंद्र सिंह पंवर व अधिवक्ता राजीव राय की याचिका पर सुनवाई के दाैरान यह आदेश पारित किए।
नगर निगम शिमला के पूर्व उपमहापौर की ओर से उच्चतम न्यायालय ने याचिका दायर की थी। इस केस की पैरवी सुप्रीम कोर्ट के वकील सुभाष चंद्रन द्वारा की गई। उधर, हिमाचल किसान सभा व सेब उत्पादक की ओर से 29 जुलाई को इस मामले पर शिमला में सचिवालय पर प्रदर्शन किया जाएगा। इस दाैरान सरकार को बेदखली व घरों की तालाबंदी व तोड़ने पर रोक लगाने की मांग की जाएगी।
बता दें, याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने 2 जुलाई को वन विभाग को सेब के बागों को हटाने और उनकी जगह वन प्रजातियां लगाने तथा अतिक्रमणकारियों से भू राजस्व के बकाया के रूप में इसकी लागत वसूलने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उक्त आदेश मनमानापूर्ण एवं असंगत तथा संवैधानिक, वैधानिक और पर्यावरणीय सिद्धांतों के विरूद्ध है।
जिसके कारण पारिस्थितिकी दृष्टि से नाजुक हिमाचल प्रदेश में अपरिवर्तनीय पारिस्थितिक एवं सामाजिक-आर्थिक नुकसान को रोकने के लिए शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की जरूरत है। याचिका में कहा गया है कि विशेष रूप से मानसून के मौसम के दौरान बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से हिमाचल में भूस्खलन और मिट्टी के कटाव का खतरा काफी बढ़ जाता है।
हिमाचल प्रदेश भूकंपीय गतिविधि और पारिस्थितिक संवेदनशीलता वाला क्षेत्र है। याचिका में कहा गया है, सेब के बाग महज अतिक्रमण नहीं हैं, बल्कि ये मृदा स्थिरता में योगदान देते हैं, स्थानीय वन्यजीवों के लिए आवास उपलब्ध कराते हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं तथा हजारों किसानों की आजीविका को सहारा देते हैं।
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