प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत हाथियों पर नज़र रखने के लिए उत्तराखंड और हिमाचल की सीमा पर बहराल में बनाया वॉच टावर

केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत सिरमौर जिला में हाथियों पर नजर रखने समेत उन्हें जंगल की ओर भागने के लिए विशेष तौर पर कार्य किया जा रहा है। पांवटा साहिब एवं नाहन के कुछ क्षेत्र में बीते कुछ समय से हाथियों का आवागमन अधिक हुआ है जिसको देखते हुए पांवटा साहिब की हरियाणा व उत्तराखंड सीमा से सटे बहराल वन बीट में वॉचटावर स्थापित किया गया है

Jul 28, 2025 - 19:25
Jul 28, 2025 - 19:49
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प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत हाथियों पर नज़र रखने के लिए उत्तराखंड और हिमाचल की सीमा पर बहराल में बनाया वॉच टावर

यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन  28-07-2025
केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत सिरमौर जिला में हाथियों पर नजर रखने समेत उन्हें जंगल की ओर भागने के लिए विशेष तौर पर कार्य किया जा रहा है। पांवटा साहिब एवं नाहन के कुछ क्षेत्र में बीते कुछ समय से हाथियों का आवागमन अधिक हुआ है जिसको देखते हुए पांवटा साहिब की हरियाणा व उत्तराखंड सीमा से सटे बहराल वन बीट में वॉचटावर स्थापित किया गया है। मीडिया से बात करते हुए डीएफओ पांवटा साहिब ऐश्वर्या राज ने बताया कि प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत हरियाणा , उत्तराखंड , उत्तर प्रदेश की सीमा से सटी पांवटा साहिब की बहराल वन परिक्षेत्र में वॉच टावर स्थापित किया है जिसका मुख्य मकसद यहां से जिला में प्रवेश करने वाले हाथियों पर नजर रखना है। 
इस वॉचटावर के माध्यम से वन विभाग हाथियों के संभावित खतरों को कम करने और स्थानीय लोगों को सुरक्षित रखने में सक्षम होगा। विभाग माजरा गिरिनगर के फांदी गांव में भी वाच टावर बनाने जा रहा हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा हाथियों को रिहायशी इलाकों से दूर रखने के लिए प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत 11 एनाइडर सिस्टम  भी स्थापित किए गए हैं। गौर हो कि पिछले कुछ वर्षों से हिमाचल के उत्तराखंड तथा हरियाणा राज्य सीमा पर कर्नल शेरजंग नेशनल पार्क सिंबलवाड़ा में हाथियों का पसंदीदा स्थल बन चुका है। हरियाणा कलेसर नेशनल पार्क तथा प्रदेश के सिंबलवाड़ा नेशनल पार्क में एक दर्जन हाथियों का झुंड डेरा जमाए हुए है। 
उत्तराखंड से आने वाले हाथियों पर नजर रखने के लिए वन विभाग ने राज्य सीमा के बहराल में वॉच टावर तैयार कर लिया है। प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत मानव-हाथी संघर्ष टालने को कई एहतियातन कदम उठाए हैं। गर्मियों में पानी कम होते ही पिछले कई वर्षों से उत्तराखंड के राजाजी पार्क से हाथियों का झुंड हिमाचल का रुख करता आ रहा है। मैदानी क्षेत्र में गन्ने की मिठास हाथियों को अपनी तरफ आकर्षित करती रही है। कुछ माह ठहरने के बाद वापस उत्तराखंड लौट जाते हैं। अब 2023 से करीब एक दर्जन हाथियों के झुंड ने नेशनल पार्क व आसपास वन क्षेत्र में डेरा जमाया है। पिछले तीन वर्षों के भीतर हाथी-मानव संघर्ष बढ़ गया है। कोलर से पांवटा तक एक महिला समेत दो लोगों को हाथियों के हमले से अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। 
हाथियों को भारी नुकसान के चलते बहराल, बातामंडी समेत आधा दर्जन गांव गन्ने की फसल उगाना ही छोड़ चुके हैं। वन विभाग ने उत्तराखंड से हाथियों की आवाजाही पर नजर रखने को राज्य सीमा पर पांवटा साहिब के बहराल क्षेत्र में वॉच टावर स्थापित कर दिए हैं। वॉच टावर से गर्मियों के महीनों में जंगल की आग पर नजर रख सकेंगे। करीब 30 गज मित्रों की तैनाती कर दी है, जो वन कर्मियों के साथ हाथियों के कॉरिडोर बन चुके उत्तराखंड सीमा के बहराल, बातामंडी से माजरा , गिरिनगर व नाहन के जंगलाकोट तक तैनात रहेंगे। इनको सुरक्षा किट भी वितरित की है, जिसमें साउंड गन, एलईडी टार्च, जूते समेत शामिल हैं।

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