श्रावण के तीसरे सोमवार को श्री दुद्धेश्वर महादेव का आलौकिक एवं भव्य मंदिर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

जिला सिरमौर के मुख्यालय नाहन से लगभग बाईस किलोमीटर दूर पांवटा साहिब उपमण्डल के प्रथम गांव कोलर के बीच में श्री दुद्धेश्वर महादेव का आलौकिक एवं भव्य मंदिर स्थित

Jul 28, 2025 - 11:37
Jul 28, 2025 - 12:07
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श्रावण के तीसरे सोमवार को श्री दुद्धेश्वर महादेव का आलौकिक एवं भव्य मंदिर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

सुभाष शर्मा  -  नाहन    28-07-2025

जिला सिरमौर के मुख्यालय नाहन से लगभग बाईस किलोमीटर दूर पांवटा साहिब उपमण्डल के प्रथम गांव कोलर के बीच में श्री दुद्धेश्वर महादेव का आलौकिक एवं भव्य मंदिर स्थित है। यहां प्रायः हर सोमवार को भक्तों का तांता लगा रहता है, श्रावण मास के हर सोमवार तथा फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी (शिवरात्रि पर्व)पर तो यहां की शोभा तथा श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बनती है। 

भोलेबाबा यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना पूरी करते हैं। शिवालिक पहाड़ियों के आंचल में बसा दून घाटी का प्रवेश द्वार के रूप जाना जाता है। सिरमौर जिला का यह सबसे बड़ा गांव है। यहां के निवासी मिलनसार, मेहनती तथा आस्तिक प्रवृत्ति के हैं। यह एक अतिप्राचीन शिवालाय है तथा इसका इतिहास द्वापर युग से शिवमन्दिर का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा बताया जाता है।

पांडव यहां वनवास के समय एक रात यहां ठहरे थे। यहां पर उन्होंने रात्रि विश्राम, भजन कीर्तन तथा शिव लिंग की स्थापना की थी।पूरा हिमालय क्षेत्र शिवभूमि के रूप में जाना जाता है।कोन्तेय अर्जुन ने अपनी प्रमुख सिद्धियां हिमालय क्षेत्र में की प्राप्त की थी। मन्दिर के साथ ही पीपल का सदियों पुराना पेड़ है जिसको भी श्रद्धालु सिद्धेश्वर के रूप में पूजा जाता है। 

मन्दिर के दक्षिण दिशा में श्री श्री १००८ महन्त श्री दत्त गिरि जी महाराज ( समाधिमान) रूप में स्थित है। स्थानीय विद्वानों का मानना है कि समाधिमान महन्त से पूर्व भी यहां चमत्कारी महात्माओं का आश्रम रहा।इन साधू महात्माओं के निरन्तर भजन से क्षेत्र में सदा ही सुख, शांति,समृद्धि,दूध पूत में वृद्धि रही है। यहां पर स्थित धूना सदियों से ही अखण्ड चेतन्य रुप से चला हुआ है।
 
इस मन्दिर में विराजमान श्री महन्त नागाबाबा अनमोल गिरि के अनुसार इस मन्दिर परिसर में समय-समय पर श्री शिवमहापुराण कथा, श्री मद्भागवत कथा का आयोजन किया जाता रहता है जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं, तथा स्थानीय लोगों सान्निध्य, उपस्थिति एवं सहयोग जुड़ा रहता है।ग्रह शांति के लिए किया श्री महामृत्युंजय जाप तथा कालसर्प दोष निवारण हेतु यहां की गई पूजा विशेष फलदाई है। 

फाल्गुन तथा श्रावण मास में यहां कांवड़ियों की भीड़ देखते ही बनती है। विशेष अवसरों पर यहां भण्डारों का आयोजन किया जाता है। स्थानीय महिलाओं द्वारा यहां समय-समय पर भजन कीर्तन भी किया जाता है। वरिष्ठ पत्रकार दिनेश कुमार का मानना है कि श्री दुग्धेश्वर महादेव यहां के ईष्ट देव के रूप में पूजे जाते हैं जो प्राणी मात्र  की की सभी शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक कष्टों को दूर करते हैं।

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