अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा का आज से आगाज,सैकड़ों देवी-देवता पहुंचे कुल्लू के ढालपुर मैदान
विश्व के सबसे बड़े देव महाकुंभ व अंतरराष्ट्रीय लोकनृत्य उत्सव में सैकड़ों देवी-देवता कुल्लू के ढालपुर मैदान पहुंच चुके हैं। भगवान रघुनाथ जी की भव्य रथ यात्रा से पहले से पहले सभी देवी देवताओं ने भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई नाचते गाते हुए लश्कर के साथ रघुनाथ पुर पंहुचे। इस पल का कुल्लू ही नहीं देश विदेश के लोग भी इंतजार करते हैं
यंगवार्ता न्यूज़ - कुल्लू 13-10-2024
विश्व के सबसे बड़े देव महाकुंभ व अंतरराष्ट्रीय लोकनृत्य उत्सव में सैकड़ों देवी-देवता कुल्लू के ढालपुर मैदान पहुंच चुके हैं। भगवान रघुनाथ जी की भव्य रथ यात्रा से पहले से पहले सभी देवी देवताओं ने भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई नाचते गाते हुए लश्कर के साथ रघुनाथ पुर पंहुचे। इस पल का कुल्लू ही नहीं देश विदेश के लोग भी इंतजार करते हैं। अठारह करडू की सौह ढालपुर मैदान में एक सप्ताह के लिए स्वर्गलोक सा नजारा बना हुआ है।
सुबह से पूजा पाठ करने के बाद भगवान रघुनाथ जी सहित पालकी को सजाया गया। करीब दो बजे लव लश्कर के भगवान रघुनाथ जी रथ मैदान को रवाना होंगे। कुल्लू में वाद्य यंत्रों की मधुर स्वर लहरियों से सारा वातावरण देवमय हो गया है। भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा में जिला भर के 100 से अधिक देवी देवताओं के भाग लेने की उम्मीद है।
इस दौरान रथ की डोर को स्पर्श करने के लिए लोगों की भीड़ लगती है। रथ की डोर छूना शुभ माना जाता है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रघुनाथ जी और बिजली महादेव का आशीर्वाद ले सकते हैं। रघुनाथ की नगरी को आते जाते हुए देवता आपस मे भव्य मिलन करते हैं। मनुष्य की तरह यहां पर देवी-देवता भी आपस में मिलन करते नजर आए।
कोरोना काल के दो वर्षों के बाद रथ मैदान में देवी-देवताओं के साथ भीड़ नजर आई। रथ यात्रा के बाद सभी देवी देवता अपने अस्थाई शिविरों में विराजमान होते हैं। इसके बाद अस्थाई शिविर में इनके दर्शन कर सकते हैं।
वही कारदार रघुनाथ दानविन्द्र ने बताया कि दशहरा हार्दिक शुभकामनाएं की जीत है, बुराई पर अच्छाई का आज विजयदशमी का त्यौहार है देवता अपने गंतव्य से चलकर रघुनाथ से मिलने आते हैं एक साल के बाद किसी का गुरु है, किसी का भाई है, किसी के मित्र हैं, किसी के बहन है इस प्रकार से सभी देवी देवता मिल रहे हैं, और बड़े हर्षाेउल्लास के साथ मिल रहे हैं।
हमारा मेला हर एक साल के बाद होता है और सभी आते हैं और रघुनाथ की ओर से उतरा हुआ वस्त्र होता है कपड़ा होता है जो सभी देवी देवताओं को दिया जाता है और जो भगवती होती हैं उन्हें सीता माता की गगरी दी जाती है और आमजन मानस को रघुनाथ की तरफ से सफेद और पीले रंग के कपड़े दी जाते हैं।
आज विशेष पूजा रघुनाथ के मंदिर में होती है जब हिडिंबा माता आएगी तो वह दुर्गा माता के रूप में आएगी और हमारे घर की सबसे बड़ी बुजुर्ग है राज दादी है उनके अध्यक्षता में दशहरे की विशेष पूजा आयोजित होती है। इसमें अष्टम पूजन होता है शस्त्र पूजन होता है जितनी भी भगवान के अस्त्र-शस्त्र हैं उनकी भी पूजा होती है भगवान के खातों की पूजा होती है इसलिए यह विजयदशमी का त्योहार विशेष है।
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