प्राकृतिक आपदा से करोड़ों की सेब बागवानी पर मंडराया खतरा,शिमला में 3.15 लाख पेटी और कुल्लू में एक लाख क्रेट सेब फंसा
हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से करोड़ों की सेब बागवानी पर खतरा मंडरा गया है। शिमला और कुल्लू जिले की सैकड़ों सड़कें यातायात के लिए बाधित हैं। बागवानों की फसल सेब बगीचों और तोड़ी हुई ग्रेडिंग केंद्रों में फंस गई

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 04-09-2025
हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से करोड़ों की सेब बागवानी पर खतरा मंडरा गया है। शिमला और कुल्लू जिले की सैकड़ों सड़कें यातायात के लिए बाधित हैं। बागवानों की फसल सेब बगीचों और तोड़ी हुई ग्रेडिंग केंद्रों में फंस गई है।
बागवानों ने सेब की पेटियां पैक कर रखीं है, लेकिन यातायात ठप होने से फसल को मंडी पहुंचाना मुश्किल हो गया है। उधर, मंडियों में बिका सेब भी ट्रकों में है। बाहरी राज्यों को इसकी सप्लाई नाममात्र ही हो रही हे। शिमला जिले में करीब सवा तीन लाख सेब की पेटियां फंसी हुईं हैं। हर वर्ष प्रदेश में सेब का कारोबार करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपये तक पहुंचता है। इस वर्ष भारी बारिश के कारण अधिकांश सड़कें बंद हैं।
ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब सीजन जोरों पर है। रामपुर उपमंडल में ननखड़ी और 12/20 क्षेत्र में सेब की पेटियां सड़कें बाधित होने से फंस गई हैं। रामपुर के 12/20 क्षेत्र और ननखड़ी तहसील के खोलीघाट, गाहन, अड्डू, नागाधार, खमाडी, कंदरेड़ी, कुंगलबाल्टी और सुरड़बंगला क्षेत्र में सेब की करीब एक लाख पेटियां सड़कें बाधित होने के कारण फंस गई हैं।
यही हाल रोहड़ू, चौपाल, जुब्बल और कोटखाई का है। यहां सेब की करीब पौने दो लाख पेटियां सड़कें बाधित होने से फंसी हुई हैं। निरमंड उपमंडल की चायल पंचायत का संपर्क चार सप्ताह से कटा हुआ है। यहां सेब की करीब 50 हजार पेटियां फंस गई हैं।
प्रदेश के लोगों की आर्थिकी अधिकतर खेतीबाड़ी और बागवानी पर निर्भर है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था में बागवानी का अहम योगदान है और प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 20 प्रतिशत से ज्यादा योगदान बागवानी क्षेत्र का है। इस वर्ष प्रदेश में भारी बारिश से बागवानों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हो गई है।
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