यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 06-11-2024
संजौली मस्जिद विवाद पर एक बार फिर संग्राम छिड़ गया है। जिला अदालत ने मुस्लिम एसोसिएशनों की अपील पर नगर निगम के मस्जिद निर्माण से जुड़े फैसले पर स्टे देने से इन्कार कर दिया है। यह मामला अब 11 नवम्बर को आगामी सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया है। तीन मुस्लिम वेलफेयर कमेटियों की ओर से नजाकत अली हाशमी ने अदालत में दायर अपील में कहा कि उन्होंने संजौली मस्जिद के निर्माण के लिए अंशदान किया है और ऐसे में मस्जिद के निर्माण को हटाए जाने का नगर निगम का फैसला उनके लिए पीड़ा जनक है। इसके साथ ही हाशमी ने सवाल उठाया कि मोहम्मद लतीफ और सलीम ने किस आधार पर निगम आयुक्त को मस्जिद की तीन मंजिलें गिराने की अनुमति दी।
अदालत में दायर की गई अपील में यह भी दावा किया गया कि संजौली मस्जिद कमेटी पंजीकृत नहीं है और इस मसले पर फैसले का अधिकार मोहम्मद लतीफ को नहीं है। हालांकि न्यायमूर्ति प्रवीण गर्ग ने इस अपील पर नगर निगम के आदेश पर स्टे देने की मांग स्वीकार नहीं की और मुस्लिम पक्ष को राहत नहीं मिली। अब नगर निगम और संबंधित पक्षों को सारा रिकॉर्ड आगामी सुनवाई में अदालत में पेश करना होगा। गौरतलब है कि संजौली मस्जिद कमेटी ने पहले ही नगर निगम शिमला आयुक्त से अवैध निर्माण को हटाने की अनुमति मांगी थी, जिसे आयुक्त ने 2 माह के भीतर अपने खर्च पर हटाने का आदेश दिया था। इसके बाद लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई , जिसमें 2010 में हुए अवैध निर्माण से जुड़े मामले पर जल्द निर्णय लेने की मांग की गई थी।
इस पर उच्च न्यायालय ने 20 दिसम्बर तक मामले को निपटाने के आदेश दिए। इस बीच मुस्लिम समाज ने अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायालय में अपील दायर की, जिस पर 11 नवम्बर को अगली सुनवाई होगी। मामले की सुनवाई के बाद मीडिया से बात करते हुए अधिवक्ता जगतपाल ठाकुर ने कहा कि नजाकत हाशमी की याचिका में कोई वैधता नहीं है, क्योंकि उनका इस मामले से कोई ताल्लुक नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि 11 नवम्बर को याचिका रद्द होने पर वह अदालत से 5 लाख रुपये जुर्माना लगाने की मांग करेंगे। संजौली मस्जिद के निर्माण को लेकर पूरे प्रदेश में विवाद उठ खड़ा हुआ था।
शिमला के साथ-साथ सोलन, मंडी, कुल्लू और सिरमौर जिलों में भी हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन कर अवैध मस्जिदों को गिराने की मांग की थी। इसके बाद 12 सितम्बर को मस्जिद कमेटी ने खुद ही नगर निगम आयुक्त से मिलने और अवैध निर्माण को हटाने की पेशकश की थी, जिसे बाद में वक्फ बोर्ड ने भी समर्थन किया। अब इस मामले पर अदालत में सुनवाई जारी है और प्रदेश भर के लोग इसके परिणाम का इंतजार कर रहे हैं।