यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 06-11-2024
साइबर अपराधियों के अवैध डिजिटल पेमेंट गेटवे को लेकर भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र द्वारा जारी अलर्ट के बाद प्रदेश में भी साइबर पुलिस लोगों को विभिन्न माध्यमों से जागरूक कर रही है। इसके तहत लोगों को अपने बैंक खाते, कंपनी पंजीकरण प्रमाणपत्र , उद्यम आधार पंजीकरण प्रमाण पत्र सहित अन्य प्रमाणपत्र किसी को भी न बेचने और न ही इनसे जुड़ी जानकारी साझा करने की सलाह दी जा रही है। सामने आया है कि आरोपियों द्वारा म्यूल बैंक खातों का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा है। ऐसे में बैंक खातों में जमा होने वाली अवैध धनराशि के लिए गिरफ्तारी या अन्य कानूनी कार्रवाई से गुजरना पड़ सकता है।
बैंक उन खातों के दुरुपयोग की पहचान करने के लिए जांच कर सकते हैं, जिसका इस्तेमाल अवैध पेमेंट गेटवे बनाने के लिए किया जाता है। साइबर अपराध समन्वय केंद्र द्वारा जारी अलर्ट के अनुसार हाल ही में की गई राष्ट्रव्यापी छापेमारी में पता चला कि अंतर्राष्ट्रीय अपराधियों द्वारा म्यूल या किसी अन्य के बैंक खातों का संचालन कर अवैध डिजिटल पेमेंट गेटवे बनाए गए हैं। म्यूल खातों को विदेशों से दूर से नियंत्रित किया जाता है और आरोपी ऐसे खातों का उपयोग कर अवैध पेमेंट गेटवे बनाते हैं , जिसे आपराधिक सिंडिकेट को फर्जी इन्वेस्टमेंट स्कैम साइटों , ऑफशोर सट्टेबाजी और जुए से जुड़ी वेबसाइट , फर्जी स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म आदि जैसे अवैध प्लेटफार्मों पर जमा हुई धनराशि प्राप्त करने के लिए दिया जाता है।
शातिर आरोपी अपराध की आय प्राप्त होते ही तुरंत दूसरे खाते में डाल देते हैं। ऐसे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वे किसी के बहकावे में आकर निजी जानकारियां किसी भी सूरत में साझा न करें और सचेत रहें। चोरी किए गए डॉक्यूमेंट से खोले गए खाते : ये खाते धोखेबाजों द्वारा चोरी किए गए डॉक्यूमेंट या फर्जी पहचान पत्रों के माध्यम से खोले जाते हैं ताकि वे अवैध तौर से अर्जित राशि का प्रबंधन कर सकें। साइबर अपराध की शिकायत राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल ( एनसीआरपी ) और राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दर्ज की जा रही रहे हैं। शिमला में स्थापित राज्य साइबर अपराध नियंत्रण कक्ष में सुबह 9 से शाम 6 बजे तक कॉल की जा सकती है।