भूमि नियमितीकरण नीति पर जल्द आएगा फैसला , 1.65 लाख लोगों ने अतिक्रमण अपने नाम करने को किया था आवेदन

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में 2002 की भूमि नियमितीकरण नीति पर जल्द फैसला आ सकता है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने 8 जनवरी को सुनवाई के बाद इस फैसले को सुरक्षित रख लिया है। राज्य की नियमितीकरण नीति के तहत सरकार ने लोगों से आवेदन मांगे थे, जिन्होंने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया। इसके तहत एक लाख पैंसठ हजार से अधिक लोगों ने आवेदन किया था

Jan 31, 2025 - 15:30
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भूमि नियमितीकरण नीति पर जल्द आएगा फैसला , 1.65 लाख लोगों ने अतिक्रमण अपने नाम करने को किया था आवेदन

यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन  31-01-2025

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में 2002 की भूमि नियमितीकरण नीति पर जल्द फैसला आ सकता है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने 8 जनवरी को सुनवाई के बाद इस फैसले को सुरक्षित रख लिया है। राज्य की नियमितीकरण नीति के तहत सरकार ने लोगों से आवेदन मांगे थे, जिन्होंने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया। इसके तहत एक लाख पैंसठ हजार से अधिक लोगों ने आवेदन किया था। 
तत्कालीन भाजपा सरकार ने भू-राजस्व अधिनियम में संशोधन कर धारा 163-ए को जोड़ा, जिसके तहत लोगों को 5 से 20 बीघा तक जमीन देने और नियमितीकरण करने का फैसला लिया गया था, जिससे जरूरतमंद लोगों को जमीन दी जा सके। इस नीति की वैधता के खिलाफ हाईकोर्ट में दो लोगों ने चुनौती दी। अगस्त 2002 में दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने प्रक्रिया जारी रखने के आदेश दिए थे, जबकि पट्टा देने से मना कर दिया था। अब 23 साल बाद इस मामले में फैसला आएगा। 
वहीं, भारत सरकार की ओर से दलीलें दी गई कि प्रदेश सरकार ऐसी नीति नहीं बना सकती। वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों के तहत प्रदेश सरकार केंद्र की पूर्व स्वीकृति प्राप्त किए बिना किसी भी अतिक्रमण को नियमित नहीं कर सकती। वहीं, महाधिवक्ता अनूप रतन ने कहा कि यह सरकार का अधिकार रहा है कि प्रदेश के लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए ऐसी नीति बनाई गई। यह समय की मांग है। लाखों लोगों को इसका फायदा होगा। 

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