यंगवार्ता न्यूज़ - धर्मशाला 02-12-2025
भारतीय जनता पार्टी विधायक दल ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के नेतृत्व में युवा विरोधी सरकार के जॉब ट्रेनी पॉलिसी के विरुद्ध विधानसभा परिसर में नारेबाजी की। सभी विधायकों ने सरकार को उनकी दसों चुनावी गारंटियों की याद दिलाते हुए युवाओं के लिए रोजगार देने और जॉब ट्रेनी पॉलिसी को युवा विरोधी बताते हुए उसे वापस लेने की मांग की। नेता प्रतिपक्ष ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि यह वही सरकार और उसके नेता हैं जो चौक चौराहे पर घूम घूम कर 5 लाख रोजगार देने की कसम खा रहे थे। पहले कैबिनेट में एक लाख ठूंजा साल वाली पक्की नौकरी देने की घोषणा कर रहे थे। उनके चुनावी भाषण देखकर तो ऐसा लगता था कि चुनाव के अगले दिन ही हुआ नौकरियां बांटदेंगे। आज वह कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। पक्की नौकरी के बजाय सरकार ने अपने मित्र मंडली को लाभ पहुंचाने के लिए विभिन्न प्रकार की मित्र योजनाओं के तहत भर्ती निकाली है।
जबकि पहले से लगे 10 हजार से ज्यादा युवाओं की नौकरियां छीन ली गई है। इस सरकार के संरक्षण में भ्रष्टाचार का जो तांडव हो रहा है वह पहले किसी ने कल्पना नहीं की होगी। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री की मित्र मंडली और उनके खास नेताओं ने अपने और परिवार के नाम पर आउटसोर्स एजेंसियां खोल रखी हैं। जिसके जरिए मित्र योजना की तमाम भर्ती की जा रही है। भर्तियां अधिकारिक तौर पर घोषित नहीं होती इसके पहले ही उनके नेता प्रदेश के लोगों से वसूली शुरू कर देते हैं। प्रदेश के लोगों से नौकरी देने के नाम पर लाखों रुपए वसूले जा रहे हैं। ऐसे आउटसोर्स माफिया बेहद खास हैं। वह सीएम के हेलीकॉप्टर में भी घूमते हैं। जिससे हर आदमी को यकीन रहे की यह मुख्यमंत्री का करीबी है और आसानी से पैसे दे दे। आउट सोर्स नौकरियों के नाम पर माफिया सक्रिय है जो लोगों से नौकरी लगवाने के बदले लाखों रुपए वसूल रहा है। इस वसूली तंत्र को संरक्षण देने से ही सरकार और उसमे बैठे लोगों की मानसिकता समझी जा सकती है। इन आउट सोर्स एजेंसियों की क्षमता पर माननीय न्यायालय द्वारा जो प्रश्न खड़े किए गए हैं उसी से इन कंपनियों की प्रोफाइल का अंदाजा लगाया जा सकता है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश में युवाओं की भर्ती करने वाला कर्मचारी चयन आयोग 3 साल बाद भी फंक्शनल नहीं हुआ है। इससे सरकार की नौकरी देने की कितनी मंशा है स्वतः साफ हो जाती है। पुलिस की भर्ती हुई पेपर लीक होने के अनगिनत तथ्य सामने आए। जो बच्चे एग्जाम दे रहे थे उन्होंने आरोप लगाया कि सामूहिक तौर पर नकल हुई है। सीसीटीवी बंद होने के भी आरोप लगे थे। प्रदेश की पुलिस ने ही छात्रों की निशानदेही पर कुछ पेपर सॉल्वर भी पकड़े थे। जिन बच्चों ने पैसे दिए थे उनकी निशानदेही पर चार लोगों की गिरफ्तारी की भी खबरें आधिकारिक सोर्सेज के हवाले से सामने आई थी। लेकिन आरोप लगाने वाले लोगों को धमकाया गया पूरे मामले को ही रफा दफा करने की कोशिश की गई। आज यह मामला न्यायालय में है। इतनी बड़ी धांधली सामने आने के बाद भी सरकार का चुप बैठ जाना उसके निष्पक्षता का मापदंड नहीं हो सकता। मीडिया द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार को भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व और संगठन की क्षमता आंकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। हमने पहले पुलिस ग्राउंड भी रैलियों में भरा है, और भी प्रदेश के जितने ग्राउंड है उसे कार्यकर्ताओं से भरा है।
इसलिए जोरावर स्टेडियम में आक्रोश रैली में कितने लोग आएंगे मुख्यमंत्री यह अपनी आंखों से देखें। सरकार जिस तरीके से लोगों को अनसुना कर रही है उससे तो यही लग रहा है कि विधानसभा के सामने ही प्रदर्शन करना चाहिए। जिससे उसकी गूंज मुख्यमंत्री के कानों तक पहुंच सके। क्योंकि मुख्यमंत्री की सुनने की हालत है नहीं और उसी का खामियाजा पूरा प्रदेश भुगत रहा है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार की चुनावी गारंटी में 680 करोड़ रुपए का कॉरपस फंड भी था। तो 3 साल बाद भी सामने नहींआया। सरकार द्वारा चलाई गई स्वावलंबन योजना भी सरकार ने बंद कर दी है। आईएफ योजना के माध्यम से सरकार ने हजारों इकाइयों को शुरू करने में सहयोग दिया था। जिसकी वजह से न सिर्फ लोगों को रोजगार मिला था बल्कि उन्होंने अन्य लोगों को भी रोजगार दिया था। प्रदेश के लिए यह योजना किसी वरदान से काम नहीं थी। लेकिन राजनीतिक विद्वेष के चलते सरकार ने न सिर्फ योजना बंद की बल्कि ऐसे लोगों का भी भुगतान रोक दिया जिनको एक किस्त मिल चुकी थी। ऐसे लोगों का भविष्य और उनके उपक्रम अधर में लटक गए। सरकार लोगों को रोजगार देना तो दूर जो लोग स्वयं की मेहनत और निवेश से रोजगार हासिल करना और औरों को देना चाहते थे सरकार उनको भी हौसले तोड़ने की कोशिश कर रहीहै।
हजारों लोगों को रोजगार देने वाली स्वावलंबन योजना को अपाहिज कर देना सरकार की फिर नीति और नीयत का परिणाम है। नेता प्रतिपक्ष ने मीडिया के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को और पूरी सरकार को अपने नाम की पट्टिका का लगाने का भूत सवार है। जो भवन बन गए हैं उनका उद्घाटन हो गया है उसमें काम शुरू हो गया है। वहां भी मुख्यमंत्री शुभारंभ के नाम की पट्टिका लगवाने जाते हैं। जबकि बद्दी में अस्पतालों का रंगारंग कार्यक्रम में शुभारंभ करके आते हैं। वहां बिजली और पानी की सुविधा भी बहाल नहीं होती हैं। अस्पतालों में डॉक्टर नहीं होते हैं, टेक्निकल और सपोर्टिंग स्टाफ नहीं होता है फिर भी इसका शुभारंभ मुख्यमंत्री द्वारा कर दिया जाता है। बहुत जगह पर पुराने पट्टे उखाड़कर नए पट्टे लगाए जा रहे हैं। पुलिस की गाड़ियों पर अपनी तस्वीर लगवाने वाले हिमाचल के सुखविंदर सिंह सुक्खू दुनिया के इकलौते मुख्यमंत्री हैं।