शोध में खुलासा : प्रदेश में टमाटर की फसल ग्रीन हाउस गैसों को हटाने में मददगार हो रही साबित
हिमाचल प्रदेश में टमाटर की फसल ग्रीन हाउस गैसों को हटाने में मददगार साबित हो रही है। यहां उगाई जाने वाली सभी सब्जियों की बात करें तो इनमें टमाटर सबसे अधिक मात्रा में कार्बन अवशोषक बन रहा है। उर्वरकों और कीटनाशकों के अधिक इस्तेमाल से फसलों में कार्बन की मात्रा बहुत अधिक बढ़ गई
                                यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 28-07-2025
हिमाचल प्रदेश में टमाटर की फसल ग्रीन हाउस गैसों को हटाने में मददगार साबित हो रही है। यहां उगाई जाने वाली सभी सब्जियों की बात करें तो इनमें टमाटर सबसे अधिक मात्रा में कार्बन अवशोषक बन रहा है। उर्वरकों और कीटनाशकों के अधिक इस्तेमाल से फसलों में कार्बन की मात्रा बहुत अधिक बढ़ गई है।
इसका अवशोषण कम होने पर कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन जैसी गैसें वातावरण में खूब घुल रही हैं। कार्बन फुटप्रिंट विश्लेषण में फसल उत्पादन के सभी चरणों को शामिल किया गया और बुवाई से लेकर कटाई तक अध्ययन किया गया।
टमाटर, शिमला मिर्च, फूलगोभी, मटर और फ्रेंच बीन्स जैसी फसलों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। डॉ. वाईएस परमार वागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के विशेषज्ञों की ओर से सब्जियों पर जलवायु परिवर्तन पर किए अध्ययन में यह बातें सामने आई हैं। यह शोध पत्र एल्सवीयर साइंस ऑफ द टोटल एन्वायरन्मेंट नामक अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
इस शोध अध्ययन में डॉ. प्रदीप सिंह, डॉ. मनोज कुमार वैद्य, डॉ. अमित गुलेरिया, डॉ. प्रदीप कुमार अधाले आदि ने हिस्सा लिया। अध्ययन के अनुसार वर्तमान में टमाटर की फसल जलवायु परिवर्तन में एक जटिल और दोहरी भूमिका निभा रही है।
 
टमाटर कार्बन सिंक के रूप में कार्य करता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों को हटाने में मदद मिलती है। उच्च पृथक्करण दरों के बावजूद टमाटर और शिमला मिर्च जैसी फसलें कम टिकाऊ प्रथाओं को दर्शाती हैं, जो गहन आदान उपयोग का कारण है।                        
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