रविवार को नाहन शहर में निकलेगी श्री जगन्नाथ यात्रा की भव्य रथ यात्रा , उड़ीसा के पूरी तर्ज पर होता है आयोजन
रविवार 29 जून को नाहन शहर में भव्य श्री जगन्नाथ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है जिससे नाहन के हजारों श्रद्धालु बढ़ चढ़ कर भाग लेंगे। जिला सिरमौर का मुख्यालय नाहन अपने धार्मिक स्थलों एवं मन्दिरों के लिए जाना जाता है। यहां बड़ा चौक में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर अपनी दिव्यता एवं भव्यता के लिए विख्यात है। यहां उड़ीसा के भगवान जगन्नाथ धाम की तर्ज पर शहर में भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है

यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन 28-06-2025
रविवार 29 जून को नाहन शहर में भव्य श्री जगन्नाथ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है जिससे नाहन के हजारों श्रद्धालु बढ़ चढ़ कर भाग लेंगे। जिला सिरमौर का मुख्यालय नाहन अपने धार्मिक स्थलों एवं मन्दिरों के लिए जाना जाता है। यहां बड़ा चौक में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर अपनी दिव्यता एवं भव्यता के लिए विख्यात है। यहां उड़ीसा के भगवान जगन्नाथ धाम की तर्ज पर शहर में भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है जिसमें असंख्य श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ जी की पवित्र रथ यात्रा में शामिल तथा रथ को खींच कर स्वयं को धन्य समझते हैं। नाहन में यह यात्रा पिछले सोलह सालों से जारी है। बताते हैं कि बाबा बनवारी दास विक्रमी संवत 1673 यानी सन् 1616 में राजस्थान के जयपुर से नाहन आए थे तथा यहां पर वह भगवान नृसिंह जी की तपस्या करते थे। नाहन उस समय घने जंगलों से घिरा जंगल होता था। सन् 1620 ई में महाराज कर्म प्रकाश शिकार खेलते हुए इस स्थान पर पहुंचे तथा यहां उनकी भेंट बाबा बनवारी दास से हुई। कुछ विद्वान कहते हैं कि बाबा ने उन्हें जीव हत्या के लिए अथवा शिकार न खेलने कहा।
इसी कारण यहां का नाम नाहन पड़ा। महाराजा करम प्रकाश महात्मा बनवारी दास से प्रभावित हुए तथा उन्होंने बाबा को बताया कि जब से नटनी के शाप अथवा प्राकृतिक आपदा से सिरमौरी ताल स्थित उनकी राजधानी विनष्ट हुई है तबसे कहीं भी उनकी राजधानी स्थिर नहीं रह सकीं। बाबा बनवारी दास ने महाराज करम प्रकाश से बड़ा चौक स्थित इस स्थान पर भगवान जगन्नाथ की स्थापना करने की सलाह दी। वैसे भी महाराजा करम प्रकाश को स्वप्न में यहां पीपल के पेड़ के नीचे भगवान जगन्नाथ जी ने मूर्ति के रूप में दर्शन दिए थे। उन्होंने उस मूर्ति को पीपल के नीचे से निकाल कर इस स्थान पर स्थापित किया तथा नृसिंह भगवान की मूर्ति को बाबा बनवारी दास ने नाहन में दूसरे स्थान पर स्थापित करवाया जहां वर्तमान में नृसिंह भगवान का भव्य मंदिर स्थित है। यह घटना सन् 1620-21 की है।
भगवान जगन्नाथ व भगवान नृसिंह दोनों मन्दिरों की स्थापना एक ही समय बताई गई है तथा दोनों मन्दिरों की प्राण-प्रतिष्ठा बाबा बनवारी दास के सान्निध्य में ही सम्पन्न हुई। भगवान जगन्नाथ जी की वह मूर्ति वर्तमान में चांदी के सिंहासन पर विराजमान है। इसके इसके अलावा बाबा बनवारी दास द्वारा नाहन में दो अन्य ठाकुर द्वारे स्थापित किए गए जिसमें एक वर्तमान में कच्चा टैंक स्थित श्री रघुनाथ मंदिर तथा अन्य राम कुण्डी में स्थित है। उनके सानिध्य में ही नाहन के राजमहल में पीपल के पेड़ के नीचे श्री खेड़ा जी महाराज की स्थापना की गई जिसको वर्तमान में बड़ा चौक में ही स्थापित किया गया है। श्री रघुनाथ मंदिर की व्यवस्था संचालन ब्राह्मण सभा नाहन द्वारा किया जाता है। बाबा बनवारी दास इस स्थान पर इकसठ वर्ष तक रहे तथा वैशाख सुदी एकादशी संवत 1733 में वह ब्रह्मलीन हुए।
उसके बाद बड़ा चौक में श्री जगन्नाथ मंदिर का निर्माण किया गया। भगवान जगन्नाथ जी की स्थापना के बाद सिरमौर रियासत की राजधानी को स्थिरता मिली थी। भगवान जगन्नाथ , भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं तथा उनका अवतरण उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी में हुआ।एक बार उनकी बहन सुभद्रा ने पुरी में भ्रमण की इच्छा जताई। भगवान जगन्नाथ जी ने दिव्य रथ सजा कर पुरी में उनको नगर परिक्रमा कराई तबसे ही वहां यह परम्परा जारी है। नाहन में रथयात्रा समिति के प्रधान प्रकाश बंसल बताते हैं कि नाहन वासी पूरा साल इस यात्रा की उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं तथा इसमें सभी धर्म/सम्प्रदाय के लोग भाग लेते हैं।शहर के प्रमुख स्थानों पर इस रथयात्रा का स्वागत किया जाता है।
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