यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन 03-09-2025
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग सोलन ने बुधवार को यहां के साई संजीवनी नर्सिंग कॉलेज के सभागार में 40 वां राष्ट्रीय नेत्रदान जागरूकता पखवाड़े के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अलावा सोलन की समाजसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि और साई संजीवनी नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस मौके पर सीएमओ सोलन डॉ. अजय पाठक ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की, जबकि साई संजीवनी नर्सिंग कॉलेज एवं अस्पताल के एमडी डॉ.संजय अग्रवाल विशेष अतिथि रहे। एमएमयू अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. आरके गुप्ता ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। इस मौके पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमित रंजन तलवार , डॉ. सविता अग्रवाल , डॉ. कमल अटवाल , जोनल अस्पताल सोलन की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
दो सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम के पहले सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया,जिसमें कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से नेत्रदान के लिए प्रेरित किया। साथ ही कवियों ने हिमालय क्षेत्र में आई प्राकृतिक आपदा पर भी तीखे प्रकार किए। मंच का संचालन कृतिका तोमर व राधा चौहान ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए सीएमओ सोलन डॉ. अजय पाठक ने नेत्रदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक व्यक्ति का नेत्रदान चार आंखों को रोशनी दे सकता है। उन्होंने कहा कि समाज में नेत्रदान को लेकर अभी जागरूकता की कमी है,जिसे इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से दूर किया जा सकता है। साई संजीवनी नर्सिंग कॉलेज व अस्पताल के एमडी डॉ. संजय अग्रवाल ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य आम जनता को नेत्रदान के प्रति प्रेरित करना है। हमें नेत्रदान महादान का संदेश जन-जन तक पहुंचाना है। उन्होंने इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी लोगों का धन्यवाद भी किया।
इससे पूर्व एमएमयू मेडिकल कॉलेज के नेत्र चिकित्सक डॉ. आरके गुप्ता ने कहा कि भारत में प्रतिवर्ष करीब 2 लाख नेत्रदान की जरूरत है, जबकि यहां केवल 20 हजार लोग ही नेत्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि जागरूकता के अभाव व भ्रांतियों के कारण ऐसा हो रहा है। श्रीलंका विश्व में नेत्रदान करने में अव्वल है। वहां 80 फीसदी आबादी बौद्ध धर्म की है और नेत्रदान को महादान के रूप में मानती है। उन्होंने बताया कि गर्भ के बाद जो मां का दूध होता है, इसमें विटामिन ए प्रचुर मात्रा में होता है। यह दूध अमृत समान है और अंधता को रोकने में कारगर है। सोलन अस्पताल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका ने कहा कि नेत्रदान एक आसान प्रक्रिया है। मरणोपरांत 4 से 6 घंटे के बीच में नेत्रदान होता है। उन्होंने कहा कि समाज को इस बारे में जागरूक होने की जरूरत है ताकि हमारे बाद भी कोई इस सुंदर संसार को देख सकें। उन्होंने कहा कि विभाग नेत्रदान पर 40वां पखवाड़ा मना रहा है।
इस मौके पर नेत्रदान की प्रतिज्ञा लेने वाले लोगों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए। इस मौके पर स्वच्छताग्रह संस्था से सत्येन, सेंट ल्यूक्स संस्था से मलाया और इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल वेलफेयर की प्रधान शांति जायसवाल समेत अन्य मौजूद रहे। इस मौके पर आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से नेत्रदान के महत्व पर प्रकाश डाला और प्राकृतिक आपदा पर तीखे तंज किए। पूजा जायसवाल ने कहा कि नेत्रदान आखिरी प्रेम है। उन्होंने शुक्रिया मां कविता के माध्यम से मां की महिमा बताई। पहाड़ों की वेदना को इंगित करती संजीव अरोड़ा की कविता के बोल कुछ इस तरह थे। सुना है चांद पर बस्ती बसाएंगे। मंजूला ठाकुर ने मेरा चश्मा शीर्षक से कविता पढ़ी। कविता की बानगी देखिए , मेरा चश्मा न जाने व बूढ़ा व लंगड़ा हो गया। हेमंत अत्री ने प्रकृति से छेड़छाड़ पर दहाड़ शीर्षक से कविता पढ़ी... प्रकृति रही है दहाड़,फिर दरक रहे हैं पहाड़।
यशपाल कपूर ने फरमाया , एक जोड़ी आखें दे जाओ , किसी की दुनिया को रोशन बनाओ। डॉ.कमल अटवाल ने कहा कि नेत्रदान की महिमा बतलाता हूं , नेत्रदान की अलख जगाता हूं। सत्येन ने कहा कि कौन कहता है देवभूमि धंसने लगी है, अरे नादान , ये तो तेरी नादानी पर हंसने लगी है। डॉ. कुल राजीव पंत ने पहाड़ सोचता है शीर्षक से कविता पढ़ी। डॉ. नरेंद्र शर्मा ने विश्व में चल रहे माहौल पर युद्ध कविता पढ़ी। राधा चौहान ने कहा कि किसी का जीवन आबाद करके जाएंगे, अपनी आंखों को दान करके जाएंगे। डॉ. अर्चना पंत ने कहा कि प्रकृति की महानता का वर्णन कुछ यूं किया.. प्रकृति तुम कितनी महान हो, कभी सूखा तो कभी बहार हो। सीएमओ सोलन डॉ.अजय पाठक ने अबला नहीं वीरांगना कविता के माध्यम से नारी सशक्तिकरण का उल्लेख किया।