कृषि एवं पशुपालन में उन्नत तकनीक अपनाएं किसान, कृषि विवि ने जारी की एडवायजरी..
चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय ने जनवरी महीने के दूसरे पखवाड़े में किये जाने वाले मौसम पूर्वानुमान सम्बन्धित कृषि एवं पशुपालन कार्यों के बारे में मार्गदर्शिका जारी की है जिसे अपनाकर किसान लाभान्वित
यंगवार्ता न्यूज़ - पालमपुर 16-01-2025
चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय ने जनवरी महीने के दूसरे पखवाड़े में किये जाने वाले मौसम पूर्वानुमान सम्बन्धित कृषि एवं पशुपालन कार्यों के बारे में मार्गदर्शिका जारी की है जिसे अपनाकर किसान लाभान्वित हो सकते हैं।
सिंचित गेहूँ की 30 से 35 दिन की फसल में जहां खरपतवारों में 2-3 पत्तियां आ गई हों, संकरी एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए वेस्टा (मेटसल्फयूरॅान मिथाईल 20 डव्ल्यू पी+ क्लोडिनाफॉप प्रोपार्जिल 15 डव्ल्यू पी.) 16 ग्राम प्रति 30 लीटर पानी में मिलाकर खेतों में छिड़काव करें। अगर फसल में सिर्फ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार हों तो उसके नियंत्रण के लिए 2,4-डी की 50 ग्राम मात्रा या मेटसल्फयूरॉन मिथाईल 20 डव्ल्यू पी. 80 मिली ग्राम को 30 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
निचले पर्वतीय क्षेत्र जहां सिंचाई की सुविधा है मूली की बिजाई की जा सकती है। बिजाई के लिए पूसा हिमानी किस्म जोकि 50 से 55 दिनों में तैयार हो जाती है का चयन कर सकते हैं। मूली की बिजाई हल्की मिटटी में समतल क्यारी में अन्यथा भारी मिटटी में मेड़ बनाकर 15-20 सेंटीमीटर की दूरी पर करें।
मध्यवर्ती क्षेत्रों में आलू की बुआई के लिए कुफरी ज्योति, कुफरी गिरीराज, कुफरी चन्द्रमुखी व कुफरी हिमालिनी इत्यादि किस्म का चयन करें। बुआई के लिए स्वस्थ, रोग-रहित, साबुत या कटे हुए कन्द, वजन लगभग 30 ग्राम, कम से कम 2-3 आंखें हों, का प्रयोग करें। बुआई से पहले कन्दों को डाईथेन एम-45 (25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) के घोल में 20 मिनट तक उपचारित करें।
कंद को छाया में सुखाने के बाद अच्छी तरह से तैयार खेतों में 45-60 सेंटीमीटर पंक्तियों की दूरी एवं कंद को 15-20 सेंटीमीटर के अंतर पर पंक्ति में मेड़े बनाकर बिजाई करें। बिजाई से पहले 20 क्विंटल गोबर की खाद के अतिरिक्त 20 कि.ग्रा. इफको (12:32:16) मिश्रण खाद तथा 5 कि.ग्रा. यूरिया प्रति बीघा अंतिम जुताई के समय खेतों में डालें।
आलू की रोपाई के एक सप्ताह बाद खरपतवार नियंत्रण के लिए ऑक्सीफ्लुराफेन 12 ग्राम प्रति बीघा या 3 से 4 सप्ताह बाद मेट्रीब्यूजीन 60 ग्राम प्रति बीघा (60 लीटर पानी में घोलकर) का छिड़काव करें। छिड़काव करते समय खेत में नमी होनी चाहिए। इसके अलावा आलू का 5 प्रतिशत अंकुरण होने पर खरपतवार नियंत्रण के लिए ग्रामेक्सॉन 180 मिली लीटर प्रति बीघा (60 लीटर पानी) का छिड़काव किया जा सकता है।
जनवरी महीने में मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में कड़ाके की ठंड पड़ने लगती है। पहाड़ी इलाकों में बर्फ़ तथा मैदानों में कोहरे तथा धुंध के कारण पशुओं की उत्पादन और प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है इसीलिए पशुपालक इस मौसम में ठंड से बचाव से संबंधित प्रबंधन कार्य सम्पन्न करें। इस माह में पालतू पशुओं की देखभाल करने से संबंधित महत्वपूर्ण सुझावों में –अत्यधिक खराब मौसम में कृत्रिम रोशनी का प्रबंध करें।
मछली पालक किसानों को सलाह दी जाती है कि तालाब में पानी की मात्रा का विशेष ध्यान रखें तथा समय-समय पर मछलियों की गतिविधियों पर भी नजर रखें। तालाबों के बांधों की मुरम्मतऔर नर्सरी की तैयारी प्रारम्भिक तौर पर शुरु कर देनी चाहिए। कॉमन कार्प ब्रूडर्स (नर और मादा) को चयनित करके उन्हे अलग-अलग तालाबों में एकत्रित करना प्रारंभ कर देना चाहिए।
सर्दी के मौसम में मछली पालक किसान अपने तालाबों के पानी की गहराई छह फीट तक रखें ताकि मछली को गर्म स्थान (वार्मर जोन) में शीत-निद्रा के लिए पर्याप्त जगह मिल सके। शाम के समय नलकूप से नियमित पानी डालकर सतह के पानी को गर्म रखा जा सकता है।
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