विदेश नीति पर मंत्री राजेश धर्माणी का तीखा प्रहार, अमेरिका के रवैये को बताया भारत का अपमान
हिमाचल प्रदेश के तकनीकी शिक्षा एवं शहरी नियोजन (TCP) मंत्री राजेश धर्माणी ने अमेरिका के द्वारा भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ पर पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका से दोस्ती केवल दिखावा बनकर रह गई

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 01-08-2025
हिमाचल प्रदेश के तकनीकी शिक्षा एवं शहरी नियोजन (TCP) मंत्री राजेश धर्माणी ने अमेरिका के द्वारा भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ पर पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका से दोस्ती केवल दिखावा बनकर रह गई है, और अब यह देश के लिए अपमानजनक स्थिति बन चुकी है।
धर्माणी ने कहा यह कैसी दोस्ती है, जहां अमेरिका बार-बार भारत का मज़ाक उड़ा रहा है? हाल ही में भारतीयों को अमेरिका से जिस तरह बिना सम्मान के वापस भेजा गया, वह न केवल असंवेदनशील था, बल्कि भारत की गरिमा पर सीधा आघात था। अमेरिका द्वारा एकतरफा फैसलों से भारत को व्यापारिक मोर्चे पर बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा।
उन्होंने कहा, "ट्रेड डेफिसिट बढ़ेगा, एक्सपोर्ट घटेगा और इंपोर्ट बढ़ेगा। इससे हमारी अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा। भाजपा को अब यह समझना होगा कि कांग्रेस सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जो व्यवस्थाएं बनाई थीं, उन्हें भी ये संभाल नहीं पाए। राजेश धर्माणी ने प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि हाल के सैन्य अभियानों के दौरान पाकिस्तान जैसे देश को वैश्विक समर्थन मिला, जबकि भारत अकेला पड़ गया।
यह भारत की सबसे बड़ी कूटनीतिक विफलता है कि ऑपरेशन सिंदूर के समय कोई भी देश भारत के साथ खड़ा नहीं हुआ। यह स्थिति चिंताजनक है और आने वाली पीढ़ियों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। मोदी जी कहते थे ट्रंप मेरे दोस्त हैं अब पूरी दुनिया देख रही है कि वो दोस्ती किस स्तर की थी।
राजेश धर्माणी ने केंद्र सरकार को सलाह दी कि उसे अपनी विदेश नीति पर फिर से विचार करना चाहिए और राजनीतिक लाभ से ऊपर उठकर देशहित को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा, हर कदम पर राजनीतिक फायदा सोचने से देश पीछे जाएगा। भाजपा को भले ही इसका तात्कालिक लाभ मिले, लेकिन इससे भारत का अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्थान कमजोर हुआ है।
उन्होंने ऑल पार्टी डेलीगेशन पर भी सवाल उठाया। धर्माणी ने प्रधानमंत्री से आत्मचिंतन करने की अपील की और कहा कि, देश को खोखली विदेश नीति नहीं, ठोस और सम्मानजनक वैश्विक रणनीति की ज़रूरत है।
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