स्मार्टफोन की लत से लोगों विशेषकर युवाओं में हो रहा नोमोफोबिया,अध्ययन में खुलासा
स्मार्टफोन की लत से लोगों विशेषकर युवाओं में नोमोफोबिया हो रहा है। नोमोफोबिया से स्मार्टफोन से दूर होने, बैटरी खत्म होने, नेटवर्क न होने या फोन खो जाने, टूटने का डर सता रहा है। इससे घबराहट, बेचैनी, सिरदर्द, नींद में कमी आदि के अलावा बार-बार फोन चेक करने की लत पड़ रही
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 26-12-2025
स्मार्टफोन की लत से लोगों विशेषकर युवाओं में नोमोफोबिया हो रहा है। नोमोफोबिया से स्मार्टफोन से दूर होने, बैटरी खत्म होने, नेटवर्क न होने या फोन खो जाने, टूटने का डर सता रहा है। इससे घबराहट, बेचैनी, सिरदर्द, नींद में कमी आदि के अलावा बार-बार फोन चेक करने की लत पड़ रही है।
यह अध्ययन आईजीएमसी शिमला के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अमित सचदेवा और उनकी टीम ने किया है। अध्ययन जर्नल ऑफ पायोनियर मेडिकल साइंसेज में छपा है। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज आईजीएमसी शिमला के एमबीबीएस छात्रों पर किए गए एक अध्ययन में नोमोफोबिया के मामले सामने आए हैं।
कुल 70.7 प्रतिशत छात्रों में मध्यम स्तर का नोमोफोबिया पाया गया, जबकि 19 प्रतिशत छात्र गंभीर नोमोफोबिया से ग्रसित मिले। यह अध्ययन 406 एमबीबीएस विद्यार्थियों पर किया गया। गूगल फॉर्म के माध्यम से जानकारी एकत्र की गई। अध्ययन में छात्रों की सामाजिक स्थिति, स्मार्टफोन उपयोग के पैटर्न, व्यवहार, आदतों, नींद, स्वास्थ्य पर प्रभाव जैसे पहलुओं का अध्ययन किया गया।
अधिकांश प्रतिभागी 20 से 22 वर्ष आयु वर्ग के हैं, जो अध्ययन में शामिल विद्यार्थियों के 52.8 प्रतिशत हैं। इनमें छात्राओं की संख्या 52.2 प्रतिशत है। 58.1 प्रतिशत छात्र शहरी पृष्ठभूमि से थे। लगभग सभी छात्रों यानी 99.3 प्रतिशत के पास स्मार्टफोन थे, जिनमें से 75.4 प्रतिशत एंड्रॉयड फोन का उपयोग कर रहे थे। छात्र औसतन पिछले लगभग छह वर्षों से स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
यह एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को मोबाइल फोन के बिना रहने या इंटरनेट कनेक्टिविटी न मिलने का तीव्र डर और चिंता होती है, जो तनाव, बेचैनी, घबराहट और शारीरिक लक्षणों (जैसे सिरदर्द, सांस लेने में बदलाव) का कारण बन सकती है। इसे स्मार्टफोन की लत का एक रूप माना जाता है।
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