शासन-प्रशासन सब मिलकर पहले तय कर लें कि पंचायत चुनाव कब करवाने : जयराम ठाकुर

शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष से जयराम ठाकुर ने कहा कि जिस तरीके के विरोधाभासी बयान सरकार, अधिकारी और जिम्मेदार लोगों द्वारा दिए जा रहे हैं उससे यह साफ है कि यह सरकार कितनी कंफ्यूज है। अगर सरकार को चुनाव समय पर ही करने है तो वह चिट्ठी निकालने की जरूरत क्या है कि जब तक हालात सही नहीं होंगे तब तक चुनाव नहीं हो पाएंगे

Oct 10, 2025 - 19:32
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शासन-प्रशासन सब मिलकर पहले तय कर लें कि पंचायत चुनाव कब करवाने : जयराम ठाकुर

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  10-10-2025
शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष से जयराम ठाकुर ने कहा कि जिस तरीके के विरोधाभासी बयान सरकार, अधिकारी और जिम्मेदार लोगों द्वारा दिए जा रहे हैं उससे यह साफ है कि यह सरकार कितनी कंफ्यूज है। अगर सरकार को चुनाव समय पर ही करने है तो वह चिट्ठी निकालने की जरूरत क्या है कि जब तक हालात सही नहीं होंगे तब तक चुनाव नहीं हो पाएंगे। चुनाव टालने के लिए सरकार द्वारा बाकायदा जिला उपायुक्तों से कहकर ऐसी चिट्ठी लिखवाई गई, जिसे आधार बनाकर सरकार चुनाव टाल सके। लेकिन मंदिरों से पैसा वसूलना, टॉयलेट टैक्स लगाने जैसे फैसलों की तरह इस बार भी सरकार की चिट्ठी लीक हो गई। इसके बाद सरकार द्वारा इस तरीके की बचाव की मुद्रा अपनाई जा रही है और लोगों को बरगलाया जा रहा है। 
यह ऐसी सरकार है जहां जिला उपायुक्त कुछ कह रहे हैं, मुख्य सचिव कुछ कह रहे हैं, मंत्री और मुख्यमंत्री कुछ कह रहे हैं। जिस संस्थान पर चुनाव करवाने की जिम्मेदारी है वह संस्थान कुछ कह रहा है। ऐसी असमंजस  की स्थिति हर लिहाज से प्रदेश के लिए नुकसानदायक है। इस हिसाब से लगता है कि सरकार झूठ के सहारे अपनी नैया पार करना चाहती है। जयराम ठाकुर ने कहा कि जिला उपायुक्तों की जो चिट्टियां सामने आई हैं उससे सरकार की वर्तमान नीति और नीयत साफ हो गई है। इस चिट्ठी का लब्बोलुआब यह है कि आपदा के बाद से अब तक लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने कोई काम नहीं किया। एक भी सड़क सरकार द्वारा पूर्णतया नहीं खोली जा सकी है। किसी भी प्रकार का पुनर्वास कार्य अभी तक नहीं हो पाया है। इंफ्रास्ट्रक्चर को जो नुकसान है उनको बहाल नहीं किया जा सका है। जिस तरीके से सरकार ने चुनाव अनिश्चितकाल के लिए टाल दिए हैं उस सरकार की मंशा भी जाहिर हो गई है कि आगे भी आपदा प्रभावित क्षेत्रों में कोई सुधार होने की गुंजाइश नहीं है। 
लोग बेघर हैं, सर्दियों का मौसम सिर पर है और सरकार अभी कह रही है कि सुविधाओं में सुधार होने तक इंतजार किया जाए। सरकार में बैठे लोग शायद जानते नहीं बेघर होना कितना दुखदायी होता है। ऐसे में अगले दो महीने जो की भीषण सर्दी के होने वाले हैं उस दौरान भी सरकार ने लोगों को उनके हाल पर छोड़ने का फैसला किया है। इससे दुखद स्थिति कुछ नहीं हो सकती। केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल को आपदा राहत के लिए भरपूर आर्थिक मदद दी जा रही है। लेकिन वह पैसा सरकार आपदा प्रभावितों पर खर्च करने की बजाय अपने मित्र मंडली और सरकार चलाने में खर्च कर रही है। आपदा प्रभावितों का हक उन्हें मिलना चाहिए। सरकार आपदा प्रभावितों से किया अपना वादा पूरा करें। जयराम ठाकुर ने कहा कि यदि समय चुनाव पर करवाने हैं तो अभी चुनाव में लगभग दो से ढाई महीने का समय है। 
तो फिर अभी से पत्र निकालकर डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट का हवाला देकर चुनाव टालने की कोशिश क्यों की जा रही है? जिस तरीके से नगर निगम का चुनाव सरकार ने पहले अध्यादेश लाकर और बाद में विधानसभा में बिल लाकर रोकने की कोशिश की है। उससे यह साफ है कि सरकार की मंशा पंचायती चुनाव को लेकर क्या है? यह प्रदेश की इकलौती सरकार है जो कहती कुछ है और करती कुछ है। प्रदेशवासियों को गुमराह करने के एक नहीं सैकड़ों उदाहरण हमारे सामने हैं। इनके गुमराह करने का सिलसिला विधानसभा आम चुनाव से शुरू होता है जब कांग्रेस के नेताओं द्वारा खूब धूमधाम से 10 गारंटियां दी जाती हैं। सत्ता में आने के अगले दिन से ही कह दिया जाता है कि हमने तो कुछ कहा ही नहीं। 
इसी तरीके से फ्री बिजली , फ्री पानी , लाखों की संख्या में नौकरियां , बागवानों के मन माफिक सेब के दाम , प्रदेश की हर महिला को ₹1500, ₹100 किलो दूध, ₹3 किलो गोबर, 680  करोड़ का स्टार्टअप फंड , जैस न जाने कितने दिवास्वप्न प्रदेश के लोगों को दिखाए गए और अब मुख्यमंत्री सत्ता में आकर इसके उल्टे काम करते हुए अपना समय काट रहे हैं। इस सरकार के क्रियाकलाप देख कर यह साफ है कि आगे भी यह इसी तरीके से काम करेगी। इस सरकार ने प्रदेशवासियों के बीच भरोसे का संकट पैदा किया है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब सरकार कुछ कहती है और प्रदेश के लोग उसे पर यकीन नहीं कर पाते क्योंकि सरकार आदतन झूठ बोल रही होती है।

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