पंचायत चुनाव में क्यूआर कोड से होगी मतदान पेटियों की स्कैनिंग एवं ट्रैकिंग : राज्य चुनाव आयुक्त अनिल खाची

वर्ष 2025-26 में संभावित पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव के लिए राज्य चुनाव आयोग की ओर से आवश्यक तैयारियों के संबंध में वीरवार को राज्य चुनाव आयुक्त अनिल खाची ने यहां हमीर भवन में जिला हमीरपुर के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस अवसर पर अनिल खाची ने कहा कि अभी इन चुनावों के लिए काफी ज्यादा समय है

Dec 19, 2024 - 22:16
Dec 19, 2024 - 22:48
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पंचायत चुनाव में क्यूआर कोड से होगी मतदान पेटियों की स्कैनिंग एवं ट्रैकिंग : राज्य चुनाव आयुक्त अनिल खाची
  

यंगवार्ता न्यूज़ - हमीरपुर  19-12-2024
वर्ष 2025-26 में संभावित पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव के लिए राज्य चुनाव आयोग की ओर से आवश्यक तैयारियों के संबंध में वीरवार को राज्य चुनाव आयुक्त अनिल खाची ने यहां हमीर भवन में जिला हमीरपुर के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस अवसर पर अनिल खाची ने कहा कि अभी इन चुनावों के लिए काफी ज्यादा समय है, लेकिन इनकी प्रक्रिया के संबंध में सभी संबंधित अधिकारी अपडेट रहेंगे और इनके लिए आवश्यक प्रबंध करेंगे तो चुनाव के समय उन्हें कोई भी दिक्कत सामने नहीं आएगी तथा निर्वाचन प्रक्रिया को सुचारू ढंग से तथा किसी भी तरह के अनावश्यक विवाद के बगैर संपन्न करवाया जा सकेगा। 
अनिल खाची ने कहा कि संबंधित अधिकारी जिला में मतदान पेटियों की उपलब्धता, इनकी मरम्मत, पेंटिंग एवं आइलिंग-ग्रीसिंग और स्टोरेज इत्यादि की समीक्षा करके आयोग को इसकी रिपोर्ट प्रेषित करें। उन्होंने बताया कि इस बार हर मतदान पेटी पर क्यूआर कोड लगाया जाएगा। इससे उनकी स्कैनिंग और ऐप के माध्यम से ट्रैकिंग की जा सकेगी। चुनाव सामग्री और स्टेशनरी के सामान इत्यादि का आवंटन भी इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम के माध्यम से किया जाएगा। इसलिए, सभी तरह की सामग्री का पूरा रिकॉर्ड रखें, पुरानी अनावश्यक एवं आउटडेटेड सामग्री को नियमानुसार डिस्पोज करवाएं और पूरे स्टॉक के आकलन के बाद ही डिमांड भेजें। 
राज्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि पंचायतों के पुनर्गठन, डिलिमिटेशन, वार्डबंदी, आरक्षण और मतदाता सूचियों में पंजीकरण के समय आयोग के दिशा-निर्देशों की अक्षरशः अनुपालन होनी चाहिए। इसके ड्राफ्ट के प्रकाशन की सूचना का आम लोगों के बीच व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिए, ताकि लोग अपने दावे या आपत्तियां दर्ज करवा सकें और चुनाव के समय अनावश्यक याचिकाओं से बचा जा सके। इसके लिए प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया और नोटिस बोर्ड के अलावा लाउड स्पीकरों एवं अन्य पारंपरिक साधनों का प्रयोग भी किया जा सकता है। इन प्रचार गतिविधियों का पूरा रिकॉर्ड भी रखें।
 

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