गिरिपार क्षेत्र में सदियों पुरानी लोक संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने वाला सबसे खर्चीला माघी त्योहार शुरू 

Jan 12, 2025 - 13:52
Jan 12, 2025 - 14:06
 0  130
गिरिपार क्षेत्र में सदियों पुरानी लोक संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने वाला सबसे खर्चीला माघी त्योहार शुरू 

बबीता शर्मा  - नाहन    12-01-2025

सिरमौर जनपद के गिरिपार क्षेत्र में सदियों पुरानी लोक संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने वाला और साल का सबसे खर्चीला व शाही माघी त्योहार  शुरू हो गया है। यह चार दिवसीय पर्व पारंपरिक व्यंजनों और विशेष रीति-रिवाजों के लिए प्रसिद्ध है।

पहले दिन पारंपरिक व्यंजन जैसे मुड़ा, तेलवा, और शाकुली तैयार किए गए, जबकि रात को अस्कली, तेलपाकी, सतोउले परोसे गए। दूसरे दिन “खेंड़ा”  खिचड़ी और पोली बनाने की परंपरा निभाई जाती है। गिरिपार क्षेत्र के करीब 3 लाख लोगों की 154 पंचायतों में सदियों से यह त्योहार इसी धूमधाम से मनाया जाता है। 

माघी त्योहार के पहले तीन दिनों में मांसाहारी परिवारों में बकरे काटने की परंपरा जारी है। इस बार भी त्योहार के चलते बकरों की कीमत 550 प्रति किलो तक पहुंच गई। वहीं, शाकाहारी लोगों के लिए मूड़ा, तेलवा, शाकुली, सीडो, पटांडे, और अस्कली जैसे पारंपरिक व्यंजन तैयार किए जाते हैं।

14 जनवरी तक चलने वाले माघी त्यौहार मकर संक्रांति, जिसे “साजा” के नाम से जाना जाता है, पर घर-घर में पटांडे और अस्कली जैसे व्यंजन पकाए जाते हैं। माघी त्यौहार को खुड़ियांटी, डिमलांटी, उत्तरांटी अथवा होथका व साजा अथवा संक्रांति के नाम से मनाया जाता है। 

इस दिन किसी भी घर में मांसाहारी भोजन नहीं बनता। प्रथा के अनुसार लोग अपने कुल देवता को अनाज और घी चढ़ाकर पूजा करते हैं।  त्योहार के पहले दिन किसी भी घर में मांसाहारी भोजन नहीं बनता।

गिरिपार क्षेत्र के संगड़ाह, शिलाई और राजगढ़ उपमंडलों में लगभग 90% किसान परिवार पशुपालन करते हैं। हालांकि, पिछले चार दशकों में युवाओं का  रुझान सरकारी नौकरियों, नकदी फसलों और व्यवसाय की ओर बढ़ने से बकरियां पालने का चलन घटा है। 

माघी त्योहार पर हर वर्ष गिरिपार में लगभग 40,000 बकरे काटे जाते हैं। त्योहार का यह जोश और उत्साह गिरिपार क्षेत्र की समृद्ध लोक संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखे हुए है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow