सराहनीय : मंडी त्रासदी में एसडीआरएफ जवान बने देवदूत, कई किलोमीटर पैदल सफर कर लोगों तक पहुंचाया जरूरी सामान
सूट-बूट में नजर आने वाले अधिकारियों के लिए विपरीत परिस्थितियों में साहबगिरी आसान नहीं होती है। सराज त्रासदी में जब लोगों पर विपत्ति आई, तो मंडी से लेकर शिमला तक के साहबों को पगडंडियां नापनी पड़ गई

यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी 22-07-2025
सूट-बूट में नजर आने वाले अधिकारियों के लिए विपरीत परिस्थितियों में साहबगिरी आसान नहीं होती है। सराज त्रासदी में जब लोगों पर विपत्ति आई, तो मंडी से लेकर शिमला तक के साहबों को पगडंडियां नापनी पड़ गई। सराज त्रासदी में अग्रणी भूमिका निभाने वाले एसडीआरएफ के एसपी अर्जित सेन भी इसका एक उदाहरण हैं।
एसपी अर्जित सेन को 30 जून की रात त्रासदी की सूचना मिली। तुरंत प्रभाव से एसडीआरएफ की अलग-अलग टीमें गठित की गई। इन टीमों को प्रभावित स्थलों में राहत एवं बचाव कार्यों के लिए रवाना किया। थुनाग में असल हालातों और भयावह परिस्थितियों का पता चला, तो दो जुलाई को टीम लेकर वह खुद ही शिमला से थुनाग चल दिए।
थुनाग से आगे कुछ क्षेत्रों में सडक़ की सुविधा नहीं थी। सडक़ें बंद थीं और प्रभावितों के लिए राहत पहुंचाई जानी थी। लोग एक दिन से बिना खाने और दवाइयों के रह रहे थे। अर्जित सेन ने टीम को आदेश दिए, ‘राशन और दवाइयां पीठ पर उठाओ और चलो…।’ टीम की एक टुकड़ी थुनाग से भराड़ा तक 30 किलामीटर का पैदल सफर कर, पीठ पर राशन, दवाइयां और कुछ आवश्यक वस्तुएं लेकर चल पड़ी।
एसपी के साथ होने से एसडीआरएफ जवानों का जोश बढ़ गया। 30 से 35 किलोमीटर का सफर तय कर जब भराड़ा पहुंचे, तो यह एसडीआरएफ की टीम प्रभावितों के लिए देवदूतों से कम नहीं थी। 30 जून की रात को ही सूचना मिलने के बाद मंडी डीसी और एसपी थुनाग के लिए रवाना हो गए। एसपी और डीसी के लिए सबसे बड़ी चुनौती सडक़ों को खुलवाना था।
सडक़ें खुलवाते हुए डीसी और एसपी प्रभावित क्षेत्रों की ओर बढ़ते गए। इस बीच कई पगडंडियां नापीं और कई किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा। डीसी अपूर्व देवगन और एसपी साक्षी वर्मा बताते हैं कि उनके लिए प्रभावितों तक राहत पंहुचाना और अब पुनर्वास ही लक्ष्य है।
What's Your Reaction?






