यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 29-07-2023
प्रदेश हाई कोर्ट ने सभी जिलों में स्थापित ठोस कचरा संयंत्रों का निरीक्षण करने के आदेश दिए हैं। हाई कोर्ट ने इस निरीक्षण का जिम्मा 29 वकीलों को सौंपते हुए स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। कोर्ट ने उक्त सभी वकीलों को प्रदेश के सभी ठोस कचरा सयंत्रों का निरीक्षण चार हफ्ते में पूरा करने के आदेश दिए है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 11 सितंबर को निर्धारित की है।
उल्लेखनीय है कि कोर्ट में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों के ठोस कचरा प्रबंधन संयंत्रों की स्थापना को लेकर जमीनी विवादों , अनुपचारित सीवरेज और ठोस कचरे से निपटारे से जुड़ी याचिकाएं दायर की गई है। कोर्ट ने इन मामलों में प्रमुख वन सचिव, प्रधान उद्योग सचिव, प्रधान कृषि सचिव, जल शक्ति विभाग के प्रधान सचिव, प्रधान स्वास्थ्य सचिव, प्रधान ग्रामीण विकास और पंचायती राज सचिव सहित हिमाचल पथ परिवहन निगम को प्रतिवादी बनाया है।
हिमाचल प्रदेश में ठोस कचरा प्रबंधन और इसके कार्यान्वयन पर अदालत को बताया कि हिमाचल प्रदेश 59 शहरी समूह के साथ भारत का सबसे अच्छा शहरीकृत राज्य है , लेकिन कचरे की कम मात्रा भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है। बद्दी में 970 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र को स्थापित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए है। नगर निगम धर्मशाला में कचरे को अनुपचारित तरीके से निष्पादन किया जा रहा है।
इसी तरह सोलन में भी कचरे से निपटने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं बनाया है। किन्नौर में एक करोड़ रुपए की लागत से कचरे के निष्पादन के लिए मशीन लगाई गई है, लेकिन कई वर्षों से यह बेकार पड़ी है। हिमाचल में 29 नगर परिषद और पांच नगर निगम है। कहीं भी कचरे का नियमानुसार निष्पादन नहीं किया जा रहा है।