सेब की बागवानी बनी स्वरोजगार का माध्यम , कीड़ी के 100 परिवारों को मिला ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं का लाभ

ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित  योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के सकारात्मक परिणाम स्वरूप विकासखंड मैहला की ग्राम पंचायत कीड़ी में विभाग की पहल से  लोगों को सेब की बागवानी के माध्यम से स्थानीय स्तर पर स्थायी स्वरोजगार का एक बेहतरीन अवसर उपलब्ध हुआ है। ज़िला विकास अधिकारी ओम प्रकाश ठाकुर का कहना है कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान ग्राम पंचायत कीड़ी के 100 परिवारों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत कार्य स्वीकृत कर लगभग 12 हजार के करीब  उन्नत किस्म के सेब पौधे वितरित किए गए हैं

Jun 15, 2025 - 19:31
Jun 15, 2025 - 19:50
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सेब की बागवानी बनी स्वरोजगार का माध्यम , कीड़ी के 100 परिवारों को मिला ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं का लाभ
यंगवार्ता न्यूज़ - चंबा  15-06-2025
ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित  योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के सकारात्मक परिणाम स्वरूप विकासखंड मैहला की ग्राम पंचायत कीड़ी में विभाग की पहल से  लोगों को सेब की बागवानी के माध्यम से स्थानीय स्तर पर स्थायी स्वरोजगार का एक बेहतरीन अवसर उपलब्ध हुआ है। ज़िला विकास अधिकारी ओम प्रकाश ठाकुर का कहना है कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान ग्राम पंचायत कीड़ी के 100 परिवारों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत कार्य स्वीकृत कर लगभग 12 हजार के करीब  उन्नत किस्म के सेब पौधे वितरित किए गए हैं।  
आगे जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि एम 9 तथा एम 11 इत्यादि प्रमुख रूट स्टॉक आधारित पौधों की  नवीनतम  किस्मों में रेड  विलाक्स , डार्क बैरन गाला , सनीकों गाला , जेरोमाईन , किंग रोट इत्यादि प्रमुख वैरायटीज के पौधे  लोगों को उपलब्ध करवाए गए। साथ में उन्होंने यह भी बताया कि  पौधे उपलब्ध करवाने से पहले  लोगों को खेत तैयार करने के लिए भी नियमों के अनुरूप सहायता प्रदान की गई।  योजना के लाभार्थियों में गांव लग्गा के हुकम सिंह पुत्र शेर सिंह , बबलू पुत्र भगत सिंह , संतो राम पुत्र रोंकणी राम , शेर सिंह पुत्र बेख राम , हुकम सिंह पुत्र अमर सिंह , माधो राम पुत्र सोभिया राम इत्यादि ने बताया कि ग्रामीण विकास विभाग की इस पहल से आसपास के क्षेत्र में भी सेब की सघन खेती की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है। 
स्थानीय किसान बबलू का कहना है कि स्थानीय लोग पत्ता गोभी , मटर  तथा अन्य नगदी फसलों के उत्पादन करने के साथ सेब उत्पादन के साथ भी जुड़े हैं। सेब की  सघन खेती से अब किसानों को  नकदी फसलों की इंटरक्रॉपिंग (अंतराफसलीकरण ) की भी सुविधा मिलती है।  किसानों- बागवानों का यह भी कहना है कि  विभिन्न विकासात्मक योजनाओं के साथ-साथ  विभाग द्वारा   स्वरोजगार के  स्थाई विकल्प उपलब्ध करवाना किसानों और बागवानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में  एक महत्वपूर्ण कदम है।
 

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