यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 06-10-2025
देवभूमि हिमाचल ने एक बार पुनः यह साबित किया है कि यह प्रदेश देश के सबसे हरित और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक राज्यों में से एक है। पिछले दो दशकों में प्रदेश के वन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बताया कि भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) की द्विवार्षिक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश का कुल वन क्षेत्र वर्ष 2003 में 14,353 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर वर्ष 2023 में 15,580.4 वर्ग किलोमीटर हो गया है। यह प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 25.73 प्रतिशत से बढ़कर 28 प्रतिशत हो गया है। इसी प्रकार प्रदेश का वृक्ष क्षेत्र 2003 में 491 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 2023 में 855.07 वर्ग किलोमीटर हो गया है, जो कुल क्षेत्रफल के 0.88 प्रतिशत से बढ़कर 1.53 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यह वृद्धि वर्तमान प्रदेश सरकार के सतत वनीकरण, पारिस्थितिकी पुनर्स्थापन और जनसहभागिता आधारित वन प्रबंधन के सफल प्रयासों का परिणाम है। प्रदेश की यह उपलब्धि व्यापक पौधरोपण अभियानों, सरकार की विभिन्न योजनाओं और स्थानीय समुदायों, स्वयं सहायता समूहों व वन सहकारी समितियों की सक्रिय भागीदारी से संभव हुई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि महिला मंडलों, युवक मंडलों, स्वयं सहायता समूहों और अन्य पंजीकृत संस्थाओं की भागीदारी से वनीकरण अभियानों को नई गति मिली है। प्रत्येक संगठन को पांच हेक्टेयर तक के बंजर या क्षतिग्रस्त वन क्षेत्र को विकसित करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। इस पर प्रति हेक्टेयर अधिकतम 1.20 लाख रुपये तक की राशि प्रदान की जाएगी। एक हेक्टेयर से छोटे क्षेत्रों के लिए राशि निर्धारित अनुपात के अंतर्गत जारी की जाएगी। इसके अतिरिक्त, पौधों को जीवित रहने की दर के सत्यापन के आधार पर प्रति हेक्टेयर 1.20 लाख रुपये तक का प्रोत्साहन भी दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार स्थानीय प्रजातियों के पुनर्स्थापन, उन्नत नर्सरी तकनीकों और जलागम आधारित भूमि प्रबंधन पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है, जिससे प्रदेश में वनस्पति घनत्व और जैव विविधता में वृद्धि हुई है। संयुक्त वन प्रबंधन (जेएफएम) और नई भागीदारी आधारित वन पुनर्स्थापन योजनाओं के तहत लोगों को वन संसाधनों का स्वामित्व और आजीविका से जुड़ा लाभ मिला है, जिससे पारिस्थितिक सुरक्षा भी सुनिश्चित हुई है। प्रदेश के ये वन महत्वपूर्ण जलागम क्षेत्रों का निर्माण करते हैं, जो उत्तरी भारत की प्रमुख नदियों को जल प्रदान करते हैं, कृषि उत्पादकता को बनाए रखते हैं, स्थानीय जलवायु को नियंत्रित करते हैं और प्रकृति से जुड़ी सांस्कृतिक व आध्यात्मिक परंपराओं को भी सशक्त बनाते हैं।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बताया कि हिमाचल प्रदेश की यह उपलब्धि नीति-निष्ठा, वैज्ञानिक वन प्रबंधन और जनसहभागिता का प्रमाण है जिसके माध्यम से पर्यावरणीय संतुलन और आर्थिक लाभ दोनों प्राप्त किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि राज्य का जलवायु अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र, समग्र भू-प्रबन्धन और जैव विविधता संरक्षण पर बढ़ता ध्यान प्रदेश की भारत की पेरिस समझौते और ग्रीन इंडिया मिशन के तहत की गई राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुरूप जारी है।