सफलता की कहानी : सरकार की योजनाओं से प्रगतिशील किसान रोशन लाल की जिंदगी में आया बदलाव
कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए संचालित की जा रही प्रदेश सरकार की योजनाएं खेती-किसानी की सुरक्षा और समृद्धि के नए द्वार खोल रही

विकास खंड चौंतड़ा में खेतों की बाड़बंदी पर तीन वर्षों में दिया 82 लाख रुपए का अनुदान
यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी 27-09-2025
कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए संचालित की जा रही प्रदेश सरकार की योजनाएं खेती-किसानी की सुरक्षा और समृद्धि के नए द्वार खोल रही हैं। जोगिंदर नगर की ग्राम पंचायत तलकेहड़ के प्रगतिशील किसान रोशन लाल ने मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत बाड़बंदी कर अपने खेतों को न सिर्फ बेसहारा व जंगली पशुओं से बचाया है, बल्कि खेती में नई उम्मीद भी जगाई है।
रोशन लाल बताते हैं कि बेसहारा व जंगली जानवरों के कारण उनकी मेहनत और लागत दोनों व्यर्थ हो जाते थे। उनके गांव में कृषि विभाग द्वारा आयोजित शिविर में उन्हें मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना की जानकारी मिली, जिसके बाद उन्होंने तुरंत इसका लाभ लेने का फैसला किया। विभाग के मार्गदर्शन में उन्होंने अपनी कृषि योग्य भूमि को संरक्षित करने के लिए चेन लिंक फेंसिंग लगवाई।
अब तक रोशन लाल ने करीब डेढ़ हेक्टेयर भूमि को इस विधि से सुरक्षित कर लिया है। गत वर्ष उन्होंने अपने गांव के 16 परिवारों के साथ मिलकर 1200 मीटर चेन लिंक फेंसिंग करवाई, जिससे उनकी भी लगभग 3 बीघा जमीन सुरक्षित हुई है। वे बताते हैं कि इस बार उनकी फसल बेहद अच्छी रही और अब बेसहारा व जंगली जानवरों का डर भी नहीं है।
अब वे नकदी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं, ताकि आय में और अधिक बढ़ोतरी हो सके। रोशन लाल ने अब तक लगभग 1413 मीटर बाड़बंदी की है, जिसके लिए उन्हें सरकार द्वारा लगभग 5 लाख 92 हजार रुपये का अनुदान दिया गया। इसके अलावा विभाग ने उन्हें ब्रश कटर और पावर वीडर पर अनुदान प्रदान किया है। इस बार बासमती और सोयाबीन के मुफ्त बीज भी उपलब्ध करवाए गए हैं।
इस बारे में कृषि विषयवाद् विशेषज्ञ अरुण अबरोल ने बताया कि विकास खंड चौंतड़ा में पिछले तीन वर्षों में 39 व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर की गई बाड़बंदी के लिए सरकार ने किसानों को करीब 82 लाख रुपये का अनुदान प्रदान किया है। इसमें चेन लिंक, बार्बर वायर और कम्पोजिट फेंसिंग शामिल हैं।
रोशन लाल की यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि यदि किसान सरकारी योजनाओं का सही लाभ उठाएं तो वे न केवल अपनी जमीन और फसलों को सुरक्षित कर सकते हैं, बल्कि खेती को लाभकारी व्यवसाय में बदलकर आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर भी कदम बढ़ा सकते हैं।
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