सुक्खु सरकार का अन्याय: मेहनतकशों को बाहर का रास्ता, चहेतों को फिर से बड़े पदों पर नियुक्ति : जम्वाल
आईजीएमसी शिमला के 132 आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करना सुक्खु सरकार की असंवेदनशीलता और तानाशाही रवैये का स्पष्ट उदाहरण है। बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता राकेश जम्वाल ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा
सरकार के तानाशाही फैसले से स्वास्थ्य सेवाओं पर खतरा, बीजेपी करेगी सड़क पर संघर्ष
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 03-01-2025
आईजीएमसी शिमला के 132 आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करना सुक्खु सरकार की असंवेदनशीलता और तानाशाही रवैये का स्पष्ट उदाहरण है। बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता राकेश जम्वाल ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि एक ओर, सरकार ने 1 लाख सरकारी नौकरियां देने की गारंटी का वादा किया था।
वहीं दूसरी ओर, छोटी-छोटी नौकरियों पर कार्यरत मेहनतकश युवाओं को बेरोजगार कर रही है। उन्होंने कहा कि पहली कैबिनेट में नियमित नौकरियां देने का वादा करने वाली सरकार ने न केवल आउटसोर्स कर्मचारियों की रोजी-रोटी छीनी, बल्कि दो साल से खाली पड़े डेढ़ लाख पदों को भी समाप्त कर दिया। यह वही कर्मचारी हैं।
जिन्होंने कोविड महामारी के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। अब इन्हें बिना किसी ठोस कारण के नौकरी से निकालना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि इनके परिवारों की आजीविका पर भी गंभीर संकट खड़ा कर रहा है।
राकेश जम्वाल ने स्वास्थ्य जैसे अहम विभाग में इस तरह के फैसले को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि जहां सरकार बड़े पदों पर रिटायर हो चुके अपने चहेतों को दोबारा नियुक्त कर रही है। वहीं मेहनतकश कर्मचारियों को बेरोजगारी की ओर धकेला जा रहा है।
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह वही "संवेदनशील सरकार" है, जो जनता की भलाई और रोजगार के अवसर बढ़ाने का दावा करती थी? बिजली विभाग और अन्य विभागों के आउटसोर्स कर्मचारियों को इसी तरह हटाना सुक्खु सरकार की जनविरोधी और भेदभावपूर्ण मानसिकता को उजागर करता है।
जम्वाल ने कहा कि प्रभावित कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया है, जिससे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो सकती हैं। इसका पूरा जिम्मा सरकार का होगा। बीजेपी ने मांग की है कि इन कर्मचारियों की सेवाएं तुरंत बहाल की जाएं। यदि ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी सड़कों पर उतरकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार को अपने भेदभावपूर्ण नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए और जनता के हित में फैसले लेने चाहिए। अगर सरकार ने जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो प्रदेश में जनआक्रोश और अधिक बढ़ेगा।
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