मादक पदार्थों के सेवन से बर्बाद होता है जीवन , नशे से बचने के लिए मन में प्रबल इच्छा शक्ति का होना जरुरी : मीना

राजकीय माध्यमिक पाठशाला भजयाड जिला शिमला में टीजीटी नॉन मेडिकल अध्यापिका मीना देवी ने नशीले पदार्थों के सेवन की शुरुआत , नुकसान और अंत के सम्बंध में सुंदर लेखनी प्रस्तुत की है। मीना देवी का मानना है की मादक पदार्थों का सेवन समाज की एक सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। युवाओं का एक बहुत बड़ा वर्ग इसकी चपेट में फंस चुका है

Jul 5, 2024 - 20:00
Jul 5, 2024 - 20:02
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मादक पदार्थों के सेवन से बर्बाद होता है जीवन , नशे से बचने के लिए मन में प्रबल इच्छा शक्ति का होना जरुरी : मीना
 
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   05-07-2024
राजकीय माध्यमिक पाठशाला भजयाड जिला शिमला में टीजीटी नॉन मेडिकल अध्यापिका मीना देवी ने नशीले पदार्थों के सेवन की शुरुआत , नुकसान और अंत के सम्बंध में सुंदर लेखनी प्रस्तुत की है। मीना देवी का मानना है की मादक पदार्थों का सेवन समाज की एक सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। युवाओं का एक बहुत बड़ा वर्ग इसकी चपेट में फंस चुका है। कोकीन , हीरोइन गांजा , अफीम , शराब , ब्राउन शुगर और भांग जैसे नशीले पदार्थों के सेवन से न केवल अपना जीवन अपितु परिवार एवं समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं। 
भले ही ये नशे कुछ समय के लिए हमें सुख की अनुभूति करवाते हैं , लेकिन धीरे-धीरे यह आदत बन जाती है और हम इसके बगैर नहीं रह पाते। अगर नशा समय पर ना मिले तो चोरी तक करने से भी गुरेज नहीं करते। आजकल की महंगी जीवन शैली में माता-पिता दोनों को ही पैसा अर्जित करने के लिए घर से बाहर जाना पड़ता है। मजबूरी वश वह अपने बच्चों का सही से ध्यान नहीं रख पाते। सुबह घर से जल्दी निकलते है और रात में देरी से घर वापसी करते हैं। बच्चों को भी जेब खर्च अधिक देते हैं जिससे बच्चे आसानी से मादक पदार्थों को बाजार से प्राप्त कर लेते हैं। अकेलेपन की समस्या एवं जीवन के संघर्ष का तनाव भी उन्हें इस रास्ते में धकेलता है। कई बार बच्चे बुरी संगत में भी इस बुरी आदत का शिकार बन जाते हैं। 
पहले शौक शौक में इसका सेवन करते हैं फिर स्पर्धा और आखिर में उनकी यह जरूर बन जाती है कुछ लोग बोरियत अनिद्रा या फिर गुस्से से बचने के लिए भी इसका सेवन करते हैं। नशे से ग्रसित व्यक्ति अपने भविष्य में सही फैसला लेने में भी सक्षम नहीं होते हैं। उनमें चिड़चिड़ापन , भूख न लगा , गुस्सा , हाथ पैरों में जकड़न , दर्द और भारीपन , शरीर का तापमान , अनियंत्रित रक्तचाप , उल्टी आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इन नशीले पदार्थों का मस्तिष्क , यकृत , हृदय एवं गुर्दों पर बुरा असर पड़ता है। व्यक्ति अपने सामाजिक जिम्मेदारियां से विमुख हो जाता है। ऐसे व्यक्ति बलात्कार , हिंसा , आत्महत्या , मोटर वाहन दुर्घटना हत्या , बाल शोषण जैसी कुरीतियां करने में सलिप्त हो जाता है।मादक पदार्थों की लत से व्यक्ति जमीन , मकान , गाड़ी गहने इत्यादि बेचने तक के लिए विवश हो जाता है और उसकी आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन बदतर हो जाती है। 
इस कुरीति से यदि बचना है तो मन में प्रबल इच्छा शक्ति होना अति आवश्यक है। नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती होना भी अच्छा विकल्प है जहां डॉक्टरों की देखरेख में मरीज का इलाज किया जाता है। मनोवैज्ञानिक पद्धति से भी मरीज का इलाज किया जाता है। ध्यान योग से भी मादक पदार्थों के सेवन की लत छुड़ाई जा सकती है। उन्हें रोज डायरी लिखना चाहिए। ऐसा करने से बहुत लाभ होता है। नशे के दुष्परिणामों से लिखने से हमें आभास होगा कि हम जीवन को किस तरह बर्बाद कर रहे है। इसलिए हम सब मिलकर संकल्प ले कि आज से नशा का सेवन नहीं करेंगे और एक स्वस्थ , सुंदर समाज का निर्माण करेंगे। 

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