रमेश पहाड़िया - नाहन 04-06-2024
कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले जिला सिरमौर में लोकसभा चुनाव में आखिरकार कांग्रेस का तिलिस्म टूट गया है। जिला सिरमौर की सभी पांच विधानसभा सीटों से भारतीय जनता पार्टी को बढ़त हासिल हुई है। सबसे अधिक बढ़त जिला सिरमौर में पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी को मिली है। जहां पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक सुखराम चौधरी की लोकप्रियता एक बार फिर बरकरार रही है। पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को 15313 वोटों की लीड मिली है। दूसरे नंबर पर नाहन निर्वाचन क्षेत्र रहा है , जहां नाहन के लोगों ने एक बार फिर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक डॉ राजीव बिंदल के काबिलियत पर मुहर लगाई है।
यदि रेणुका निर्वाचन क्षेत्र की बात करते हैं तो रेणुका निर्वाचन क्षेत्र से रेणुका के वर्तमान विधायक और हिमाचल प्रदेश सरकार में विधानसभा के उपाध्यक्ष विनय कुमार के निर्वाचन क्षेत्र में 4485 वोटो की भारतीय जनता पार्टी को लीड मिली है। वहीं जिला सिरमौर के शिलाई निर्वाचन क्षेत्र में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान को 2317 वोटों की शिकस्त मिली है। अगर बात पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र की करते है तो यहां से भारतीय जनता पार्टी केवल मात्र 452 वोटो की मामूली बढ़त ही हासिल हुई है या यूं कहे कि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुरेश कश्यप को अपने ही गृह क्षेत्र से उम्मीद के अनुरूप वोट नहीं मिले हैं। जिला सिरमौर की बात करते हैं तो जिला सिरमौर में कांग्रेस पार्टी में दो-दो काबीना मंत्री होते हुए भी कांग्रेस को करारी हार मिली है।
आपको बता दें कि यदि शिलाई विधानसभा चुनाव की बात करते हैं तो शिलाई से विधानसभा चुनाव में हर्षवर्धन चौहान को 382 मतों से जीत हासिल हुई थी , वहीं केवल मात्र डेढ़ साल में उनका ग्राफ इतना गिर गया है कि अब शिलाई से भारतीय जनता पार्टी को 2317 वोटों की लीड मिली है। इसी तरह रेणुका निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। जिला सिरमौर कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है , लेकिन जिला सिरमौर के मतदाताओं ने इस मर्तबा कांग्रेस के इस तिलिस्म को तोड़ दिया है। बात यदि जिला सिरमौर के गिरिपार के हाटी क्षेत्र की करते है तो इसमें शिलाई , रेणुका और पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र की करीब 154 पंचायत आती है। इन 154 पंचायत के लोगों ने कांग्रेस के खिलाफ मतदान किया है।
बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी द्वारा जनजातीय क्षेत्र को लेकर राजनीति की गई है। आपको बता दे कि वर्ष 2022 में केंद्र सरकार द्वारा जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र को जनजाति क्षेत्र घोषित कर दिया था इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा इसके अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी , लेकिन अधिसूचना जारी होने के बाद हिमाचल प्रदेश सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने इस पर अड़ंगा डाल दिया। बताते हैं कि जनजाति क्षेत्र के बिल में अड़ंगा डालने में सबसे अहम रोल शिलाई निर्वाचन क्षेत्र के विधायक और हिमाचल प्रदेश सरकार में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान का रहा है , जिसके चलते गिरिपार क्षेत्र को अभी तक जनजाति का दर्जा नहीं मिल पाया है।
जानकारों को कहना है कि हर्षवर्धन चौहान ने पहने अनुसूचित जाति के लोगों इस मुद्दे को भटकाने के लिए तैयार किया उसके बाद अब ओबीसी समुदाय को लॉलीपॉप दिया है की आपको दोनों आरक्षण मिलेंगे। जिसके चलते गिरिपार की 154 पंचायत के लोग कांग्रेस से खफा चल रहे हैं और इन चुनाव में जनता ने उनको आइना दिखा दिया है। जानकार बताते हैं कि यदि समय रहते कांग्रेस ने अपनी इस भूल को नहीं सुधारा तो आने वाले समय में कांग्रेस को फिर मुंह की खानी पड़ेगी।