हिमाचल प्रदेश में खर्च नहीं की धनराशि के ब्याज की राशि ट्रेजरी में जमा करने के आदेश

हिमाचल प्रदेश में खर्च नहीं की धनराशि के ब्याज की राशि ट्रेजरी में जमा करने के आदेश दिए गए हैं। ऐसे काम जो वर्ष 2010 से लेकर 2023 के बीच शुरू ही नहीं हो पाए हैं, उनके लिए आवंटित बजट को भी तुरंत राज्य सरकार के कोषागारों में डालने को कहा गया

May 1, 2025 - 11:34
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हिमाचल प्रदेश में खर्च नहीं की धनराशि के ब्याज की राशि ट्रेजरी में जमा करने के आदेश

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 01-05-2025

हिमाचल प्रदेश में खर्च नहीं की धनराशि के ब्याज की राशि ट्रेजरी में जमा करने के आदेश दिए गए हैं। ऐसे काम जो वर्ष 2010 से लेकर 2023 के बीच शुरू ही नहीं हो पाए हैं, उनके लिए आवंटित बजट को भी तुरंत राज्य सरकार के कोषागारों में डालने को कहा गया है। अलग-अलग बैंकों में सरकारी विभागों के वर्ष 2010 से लेकर 2023 तक बिना व्यय किए 12,210 करोड़ रुपये पड़े हैं। 

यह राशि 32 से अधिक बैंकों में जमा है। इसे जिन योजनाओं के लिए दिया गया, उनमें खर्च ही नहीं किया गया। इस पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कड़ा संज्ञान लिया है। वर्ष 2010 से लेकर 2023 की पिछले 13 वर्षों की अवधि में विभिन्न सरकारी विभागों ने कई योजनाओं और कार्यक्रमों के 12,210 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए। इसमें से 6,441.6 करोड़ रुपये बचत खातों में है, जबकि 5,391.8 करोड़ रुपये एफडी के रूप में जमा है। 

इसके अलावा 376.6 करोड़ रुपये चालू खातों में जमा पड़ा है। खर्च नहीं किए गए बजट में से एसबीआई में 1954 करोड़ रुपये है। इसी तरह पीएनबी में 1946 करोड़, एचडीएफसी में 1906 करोड़, आईसीआईसीआई में 1497 करोड़, राज्य सरकारी बैंक में 1264 करोड़, यूको बैंक में 748, एक्सिस बैंक में 476, एयू स्मॉल फाइनांस में 295, एचपी ग्रामीण बैंक में 284, बैंक ऑफ बड़ोदा में 254 करोड़ और अन्य 22 बैंकों में 1581 करोड़ रुपये हैं।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने वित्त सचिव अभिषेक जैन को निर्देश दिए हैं कि वे 10 मई तक इसकी जानकारी दें कि कितना बजट बैंकों से वापस आया है, जो वर्ष 2010 से लेकर 2023 के बीच खर्च ही नहीं किया गया है। बैंकों के पास अनखर्चे पड़े इस बजट का उचित वित्तीय प्रबंधन किया जाएगा, जिससे कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को और मजबूत किया जा सके। 

उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष के बजट में हिमाचल प्रदेश में करीब 10 हजार करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा है। यानी कोष के लिए इतने ही बजट का प्रबंध करने को अतिरिक्त अर्थोपाय की जरूरत है और दूसरी ओर सरकारी योजनाओं के 12,210 करोड़ रुपये ऐसे हैं, जो बैंकों के पास जमा पड़े हैं और विभाग इन पर ब्याज ले रहे हैं।

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