एयरपोर्ट विस्तार का विरोध में गगल बाजार बंद , सड़कों पर उतरे सैंकड़ों ग्रामीण, सरकार के खिलाफ प्रदर्शन 

गगल एयरपोर्ट के विस्तार के विरोध में लोग मुखर हो रहे हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को एयरपोर्ट विस्तार की एवज में प्रभावितों को मिलने वाले मुआवजे का विरोध करते हुए गगल बाजार को बंद रखा गया। प्रभावितों को उचित मुआवजा देने में सरकार असमर्थता जा रही है, जिस पर ग्रामीणों ने पंचायत प्रतिनिधियों ने गगल चौक पर एकत्रित होकर नारेबाजी की और गगल में जुलूस निकाला

Feb 27, 2024 - 18:25
Feb 27, 2024 - 18:41
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एयरपोर्ट विस्तार का विरोध में गगल बाजार बंद , सड़कों पर उतरे सैंकड़ों ग्रामीण, सरकार के खिलाफ प्रदर्शन 


यंगवार्ता न्यूज़ - धर्मशाला  27-02-2024

गगल एयरपोर्ट के विस्तार के विरोध में लोग मुखर हो रहे हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को एयरपोर्ट विस्तार की एवज में प्रभावितों को मिलने वाले मुआवजे का विरोध करते हुए गगल बाजार को बंद रखा गया। प्रभावितों को उचित मुआवजा देने में सरकार असमर्थता जा रही है, जिस पर ग्रामीणों ने पंचायत प्रतिनिधियों ने गगल चौक पर एकत्रित होकर नारेबाजी की और गगल में जुलूस निकाला। पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार द्वारा मुआवजे के लिए एक परिवार को केवल एक परिवार गिना जा रहा है, जबकि प्रति परिवार मकान के लिए 6 मरले भूमि दी जा रही है, यदि एक परिवार में चार सदस्य हैं तो चार सदस्य 6 मरले भूमि में कैसे मकान बना पाएंगे। 

लोगों ने कहा कि गगल एयरपोर्ट विस्तारीकरण की जद में आ रहे क्षेत्रों के सैंकड़ों लोगों के सपनों को चकनाचूर कर  सरकार अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहती है। विस्तारीकरण के नाम पर जिस तरह सरकार हमें परेशान कर रही है, उसी तरह हम भी सरकार को चैन की नींद नहीं सोने देंगे। इसके लिए लोग भूख हड़ताल जैसे कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेंगे और जरूरत पड़ी तो हर रोज गगल में जुलूस निकाला जाएगा। एयरपोर्ट विस्तार के विरोध में निकाले गए जुलूस में शामिल लोगों का कहना था कि सरकार एयरपोर्ट विस्तार के लिए जबरन हमारी जमीनें लेकर हमारे व्यापार को खत्म करने पर तुली हुई है। हमारे भविष्य को अंधकारमय बनाने की साजिश रची जा रही है। सरकार यह बताने में असमर्थ है कि हमारी जमीनें ली जा रही हैं, लेकिन हमें दिया क्या जा रहा है। 

विस्थापितों के पुनर्स्थापन के लिए न तो सरकार और न ही अधिकारियों का रवैया सही है। विस्तारीकरण करना है तो हमारी शर्तों पर होना चाहिए। गगल पंचायत प्रधान रेणु पठानिया ने कहा कि सरकार कहती है कि पॉकेट अनुसार मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन विस्तारीकरण की प्रपोजल के समय पॉकेट का आकलन क्यों नहीं किया गया। सरकार की पॉकेट छोटी है तो सरकार विस्तार को बंद कर दे, हमारी पॉकेट में हाथ डालकर सब कुछ लेना चाहती है, लेकिन मुआवजा देने में सरकार की पॉकेट बंद हो रही है। सरकार को खुला चैलेंज है कि पैसा नहीं है तो मत आइए हमारे पास और विस्तार के प्रोजेक्ट को बंद कर दो। नेता अमीर से अमीर होते जा रहे हैं और सरकार कहती है कि हिमाचल गरीब राज्य है। 

स्थानीय निवासी अनीता कपूर एयरपोर्ट विस्तार को लेकर प्रदेश हाईकोर्ट ने स्टे दिया था, जिस पर प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में नया पुनर्वास प्लान लाने की बात कही गई थी, जबकि धरातल में सरकार की ओर से अभी तक पुनर्वास का नया प्लान नहीं बताया गया है और सरकार पुराने प्लान पर ही कार्य कर रही है। सरकार पर्यटकों को वर्ल्ड वाइड इन्फ्रास्ट्रक्चर देना चाहती है, जिसके लिए हमारी जमीनें ली जा रही हैं, लेकिन हमें क्या दिया जा रहा है। जब तक सरकार कोई ठोस पुनर्वास प्लान सरकार नहीं देती है, तब तक हम अपनी जमीनें नहीं देंगे। सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से जो कहा गया है, उसी अनुरूप नया प्लान सरकार लाए, उसके बाद विस्थापितों से चर्चा करे, जनता स्वीकृति प्रदान करेगी उसके बाद सरकार हमारी जमीनों का अधिग्रहण कर सकती है।

जिला परिषद चेयरमैन रमेश बराड़ ने कहा कि लोगों को सरकार स्थिति स्पष्ट नहीं कर पा रही है कि विस्थापितों को फेक्टर वन दिया जाएगा या फेक्टर टू दिया जाएगा, जिसके चलते लोग असमंजस में हैं। सरकार की ओर से गगल व अन्य क्षेत्रों के जमीन रेट अलग-अलग बताए जा रहे हैं, लोग चाहते हैं कि जिनकी जमीनें जा रही हैं, उन सभी का रेट एक जैसा हो। परिवार के चार सदस्यों को एक परिवार गिना जा रहा है, जबकि लोगों का कहना है कि यदि एक परिवार में चार सदस्य हैं तो उन्हें 4 परिवार गिना जाए। छह-छह मरले जगह देने की बात कह रही है, इतनी भूमि में मकान बनाना कैसे संभव है। विस्थापितों को कहां बसाया जाएगा, व्यापारियों को कहां भेजा जाएगा। प्रभावितों की बात को सरकार व प्रशासन को सुनना चाहिए, उसी के बाद अगला काम उठाना चाहिए।

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