राष्ट्रधर्म के लिए अपने प्राणों की बलि देना पूजनीय :  डॉ शांडिल

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सैनिक कल्याण मंत्री कर्नल डॉ धनी राम शांडिल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की और कारगिल में शहीद जवानों को श्रद्धा सुमन अर्पित

Jul 26, 2024 - 15:59
Jul 26, 2024 - 16:43
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राष्ट्रधर्म के लिए अपने प्राणों की बलि देना पूजनीय :  डॉ शांडिल

कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर राज्य स्तरीय सम्मान समारोह आयोजित 

यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन    26-07-2024

कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में राज्य स्तरीय सम्मान समारोह किया गया। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सैनिक कल्याण मंत्री कर्नल डॉ धनी राम शांडिल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की और कारगिल में शहीद जवानों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये। 

कार्यक्रम में कारगिल युद्ध में शहीद, शौर्य सम्मान से सम्मानित वीर नारी और कारगिल युद्ध का हिस्सा रह चुके सेवानिवृत्त पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि ने कहा कि प्रदेश को वीर भूमि होने का श्रेय प्राप्त करने में हिमाचल के वीर सपूतों का अभूतपूर्व योगदान रहा है। जब भी देश को आवश्यकता हुई है, यहाँ के वीर जवानों ने अभूतपूर्व सैन्य परम्पराओं का निर्वहन करते हुए अपने साहस और पराक्रम का परिचय दिया है। 

उन्होंने कहा कि वेदों में राष्ट्र धर्म को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। राष्ट्र धर्म के लिए अपने प्राणों की बलि दे देना पूजनीय है। उन्होंने कहा कि सैनिक अपने प्राणों की आहुति देने से पीछे नहीं रहे हैं। कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 वीरों ने अपने प्राण देश के लिए न्योछावर किए हैं। हमें उनके बलिदान को हमेशा याद रखना चाहिए। 

स्वतंत्रता प्राप्ति से आज तक हिमाचल प्रदेश के लगभग 1714 वीरों ने अपने प्राण देश के लिए न्योछावर किए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना हमेशा अपने देश की सीमा पर तैनात रहती है और दुश्मन देश की सेना हमेशा घुसपैठ करने की कोशिश में लगी रहती है। ऐसी ही घटना 1999 में हुई, जब पाकिस्तान ने कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया। 

परन्तु भारतीय सेना ने हजारों फुट की उचाई पर चढ़ाई करके दुश्मन की सेना को खदेड़ा और अपनी जमीन को उनके कब्जे से वापिस लिया। लगभग 3 महीने तक दोनों देशों के बीच घमासान युद्ध हुआ और भारत ने पाकिस्तान पर विजयप्राप्त की। तब से हर साल भारत में 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इस साल हम कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

सैनिक कल्याण मंत्री ने कहा कि पूर्व सैनिकों का कल्याण सरकार के लिये सदैव ही प्राथमिकता का विषय रहा है। सैनिक कल्याण विभाग शहीदों के आश्रितों, पूर्व सैनिकों व उनके परिवारों की देखभाल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं एक सैनिक होने के नाते, शहीदों के आश्रितों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की आवश्यकताओं और संवेदनाओं को भली-भांति समझते हैं। 

हिमाचल सरकार द्वारा वीर-नारियों, पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों के कल्याण हेतु विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है। सितम्बर 2023 से युद्ध या ऑपरेशन के समय शहीद या दिव्यांग हुए सैनिकों के आश्रितों को प्रदान की जा रही अनुग्रह अनुदान राशि की दरों में डेढ़ गुणा बढ़ौतरी की गई। शहीद सैनिकों के परिवारों को मिलने वाली 20 लाख की राशि को बढ़ाकर 30 लाख, अन्य कारणों से सैनिकों के निधन पर राशि को 5 लाख से 7.50 लाख तथा युद्ध में अपंग सैनिकों को दी जाने वाली राशि को 2.50 लाख से 3.75 लाख व 1.00 लाख से 1.50 लाख रुपए किया गया है। 

कार्यक्रम में उपायुक्त अनुपम कश्यप ने मुख्यातिथि, शहीद परिवारों के सदस्यों, पूर्व सैनिकों और अन्य अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज हम अगर देश में सुरक्षित है तो सैनिकों की बलिदान और वीरता की वजह से है। उन्होंने कहा कि हमारे बलिदानी वीरों की वीरता के बारे में समाज को जागरूक होना चाहिए।

इन्हें किया गया सम्मानित 
कारगिल युद्ध में शहीद ग्रेनेडियर नरेश कुमार की धर्मपत्नी शकुंतला गांव मूल भजी डा0 थैला तहसील सुन्नी जिला शिमला और शौर्य चक्र सम्मानित बलिदानी राइफलमैन कुलभूषण मांटा की धर्म पत्नी नीतू कुमारी गांव गौंठ डा0 मझौली तहसील कुपवी जिला शिमला तथा शहीद लांस नाइक किशोरी लाल की धर्म पत्नी प्रवीण कुमारी को मुख्यातिथि ने सम्मानित किया। इसके साथ ही कारगिल युद्ध का हिस्सा रहे पूर्व सैनिकों को भी सम्मानित किया गया। इनमें सुबेदार रतन सिसोदिया, सूबेदार मेजर दिवाकर दत्त शर्मा, सूबेदार मेजर शाम लाल शर्मा, सूबेदार मेजर कैलाश चौहान, सूबेदार वेद प्रकाश शर्मा, हवलदार लक्ष्मी दत्त शर्मा, हवलदार राम लाल, हवलदार प्रवीण, सुबेदार राम लाल शामिल रहे। 

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