देश की समृद्धि की पराकाष्ठा है एकता , राष्ट्र से बढक़र कुछ नहीं हो सकता , बगाल से लेना होगा सबक : योगी 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि राष्ट्र से बढक़र कुछ नही हो सकता। राष्ट्र तभी मजबूत होगा जब हम सब एक होंगे। राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद ताजमहल मेट्रो स्टेशन पर आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए योगी ने कहा कि राष्ट्र से बढक़र कुछ नही हो सकता। राष्ट्र तभी मजबूत होगा जब हम सब एक होंगे

Aug 26, 2024 - 18:59
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देश की समृद्धि की पराकाष्ठा है एकता , राष्ट्र से बढक़र कुछ नहीं हो सकता , बगाल से लेना होगा सबक : योगी 

न्यूज़ एजेंसी - आगरा  26-08-2024
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि राष्ट्र से बढक़र कुछ नही हो सकता। राष्ट्र तभी मजबूत होगा जब हम सब एक होंगे। राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद ताजमहल मेट्रो स्टेशन पर आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए योगी ने कहा कि राष्ट्र से बढक़र कुछ नही हो सकता। राष्ट्र तभी मजबूत होगा जब हम सब एक होंगे। बंटेंगे तो कटेंगे। बांग्लादेश में देख रहे हैं न , वो गलतियां यहां नहीं होनी चाहिए। एक रहेंगे- नेक रहेंगे, सुरक्षित रहेंगे और समृद्धि की पराकाष्ठा तक पहुंचेंगे। योगी ने राधे- राधे कहकर जनसभा मौजूद लोगों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दी। उन्होंने राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर को नमन कर , वहां मौजूद सभी लोगों का अभिनंदन किया। 
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि 10 सालों से यह मूर्ति मेरा इंतजार कर रही थी। मेरे ऊपर उनकी कृपा आ गई। मुझे यहां आने का अवसर भी तब मिला, जब कृष्ण कन्हैया का जन्म हो रहा है। हम राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर को आगरा में उनकी भव्य प्रतिमा के अनावरण के कार्यक्रम से जुड़ रहे हैं। हम सभी राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर की प्रतिमा का अनावरण ऐसे समय में कर रहे जब हम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में दर्ज काकोरी ट्रेन एक्शन का शताब्दी वर्ष मना रहे है। देश की आजादी में नौ अगस्त 1925 में लखनऊ में पं. राम प्रसाद बिस्मिल , ठाकुर रोशन सिंह , अशफाक उल्ला खां , चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों ने ट्रेन एक्शन की घटना को अंजाम देकर उस समय अंग्रेज हुकूमत को चुनौती दी थी। उस समय ट्रेन एक्शन में क्रांतिकारियों में 4600 रुपए मिले थे, लेकिन क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करने और सजा दिलाने में अंग्रेजों ने 10 लाख रुपए खर्च किए थे, लेकिन तब भी भारत की आजादी की लड़ाई कमजोर नहीं पड़ी। 
यह हमारा सौभाग्य है कि भारत माता के इन महान सपूतों को जिन्होंने विदेशी हुकूमत की चूलों को हिलाने के लिए लगातार कार्य किया। उनको शरणागत करने के लिए, उन्हें सम्मान देने के लिए, उनके प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करने के लिए और उनका स्मरण करने के लिए काकोरी ट्रेन एक्शन का शताब्दी वर्ष के बहाने भारत के सभी राष्ट्र नायकों, राष्ट्रवीरों को सम्मान दे रहे हैं। योगी ने कहा कि बहुत सारे लोग थे जिन्होंने मुगलों और अंग्रेजों के सामने समर्पण कर दिया था। लेकिन आज हम राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर जी का नाम ले रहे हैं। एक बार राजस्थान जाइए, देखिए उनकी पूजा होती है। जोधपुर में श्रद्धा का भाव देखने को मिलता है। मैं इसी श्रद्धा के भाव को मजबूत करने के लिए आया हूं। उन्होंने कहा कि हम इतिहास जानते हैं। कुछ तो औरंगजेब का इस आगरा से भी संबंध था। 
इसी आगरा में हिंदवी पद बादशाही के महानायक छत्रपति शिवाजी महाराज ने औरंगजेब की सत्ता को चुनौती दी थी। उन्होंने कहा था कि तुम चूहे की तरह तड़पते रह जाओगे। हिंदुस्तान में तुझे कब्जा तो नहीं करने देंगे। राजस्थान में महाराजा जसवंत सिंह इस मोर्चे को संभाल रहे थे। महाराजा जसवंत सिंह के महत्वपूर्ण सेनापति राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर जी थे। औरंगजेब ने कई बार कोशिश की, लेकिन कब्जा नहीं कर पाए। क्योंकि जहां राष्ट्रवादी राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर जैसे वीर हों, वहां कैसे कोई विदेशी आक्रांता कब्जा कर सकता है। यही हुआ भी, लेकिन औरंगजेब दुष्ट था , चालबाज था। उसने एक चाल चली। महाराजा दशरथ सिंह से संधि कर ली। उसने कहा कि हम जोधपुर रियासत में कुछ नहीं करेंगे, लेकिन आप हमारा सहयोग कीजिए। उसने लालच दिया और कहा कि अफगानी हिंदुस्तान पर कब्जा होने जा रहा है। 
आपको मोर्चा संभालना पड़ेगा। वो धोखे से ले गया और उनकी हत्या कर दी। योगी ने कहा कि हम जानते हैं कि देश की आजादी के लिए नौ अगस्त 1925 में लखनऊ में पं. राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह , अशफाक उल्ला खां, चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों ने काकोरी ट्रेन एक्शन की घटना को अंजाम देकर अंग्रेजी हुकुमत को चुनौती दी थी। उस समय अंग्रेजी हुकूमत हिल गई थी। ट्रेन एक्शन में इन क्रांतिकारियों को महज चार हजार 600 रुपए मिले थे। लेकिन, उन्हें गिरफ्तार करके, सजा दिलाने के लिए अंग्रेजों ने 10 लाख रुपए खर्च कर दिए। लेकिन तब भी आजादी की लड़ाई कमजोर नहीं पड़ी।

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