गुरु इतवार नाथ मठ में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब , शांत महायज्ञ में तीन विधानसभा क्षेत्र के हजारों लोगों ने लिया हिस्सा

जिला सिरमौर और शिमला के केंद्र में स्थित राजगढ़ उप मंडल की ढोड़-निवाड़  में गुरु इतवार नाथ मठ में शांत महायज्ञ का आयोजन किया गया। इस महायज्ञ में सोलन , शिमला और सिरमौर जिला के हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। बताते हैं कि सिरमौर और शिमला जिलों के लोगों की आस्था का केंद्र यह धार्मिक स्थल 800 वर्ष प्राचीन एवं धार्मिक स्थल गुरु इतवार नाथ मठ के नाम से प्रसिद्ध है। रविवार देर शाम को चरू स्थापना हुई ,  जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने दस्तक दी

Apr 1, 2024 - 19:01
Apr 1, 2024 - 19:09
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गुरु इतवार नाथ मठ में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब , शांत महायज्ञ में तीन विधानसभा क्षेत्र के हजारों लोगों ने लिया हिस्सा

 

यंगवार्ता न्यूज़ - राजगढ़  01-04-2024
जिला सिरमौर और शिमला के केंद्र में स्थित राजगढ़ उप मंडल की ढोड़-निवाड़  में गुरु इतवार नाथ मठ में शांत महायज्ञ का आयोजन किया गया। इस महायज्ञ में सोलन , शिमला और सिरमौर जिला के हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। बताते हैं कि सिरमौर और शिमला जिलों के लोगों की आस्था का केंद्र यह धार्मिक स्थल 800 वर्ष प्राचीन एवं धार्मिक स्थल गुरु इतवार नाथ मठ के नाम से प्रसिद्ध है। रविवार देर शाम को चरू स्थापना हुई ,  जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने दस्तक दी। 
बताते हैं कि यह मठ करीब 800 वर्ष पुराना है। मठ के पुजारी भूपेंद्र गिरी ने बताया कि इस मठ के संरक्षक बलसन ( घोड़ना ) रियासत के राजा विक्रम सिंह है और यह मठ ठियोग और बलसन क्षेत्र के लोगों की आस्था का केंद्र है। उन्होंने कहा कि रविवार को यहां सबसे पहले रेखा पूजन व ज्वाला माता की पालकी के साथ क्षेत्र के आराध्य देव शिरगुल  महाराज शाया की छड़ी का आगमन हुआ। इस दौरान स्थानीय लोगों द्वारा देवता की छड़ी और पालकी को पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ स्वागत किया। 
बताते हैं कि मंदिर में चढ़ने वाली कुरूड देवदार की प्रसिद्ध लकड़ी से बनी है , जो करीब 120 किलोमीटर दूर बमसन क्षेत्र से लाई गई है। इस कुरुड़ को रविवार को पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ हजारों लोगों ने देवता के जय घोष और मंदिर की छत पर कुरुड़ चढाई गई। यह शांत महायज्ञ क्षेत्र में शांति और खुशहाली के लिए आयोजित किया जाता है। गिरिपार व साथ लगते शिमला के ऊपरी इलाकों में मौजूद परम्परा के अनुसार हजारों लोग इस आयोजन में शामिल हुए और पारम्परिक वाद्ययंत्रों की ताल पर देवता के जयघोष के साथ मंदिर की छत पर कुरुड़ चढ़ाई गई।

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