पर्यटन विकास निगम के होटलों को बेच कर ही मानेंगे सीएम : संदीपनी

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संदीपनी भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल पर्यटन बोर्ड के होटलो को बेचकर ही दम लेंगे मुख्यमंत्री। उन्होंने कहा कि हम प्रथम दिन से बोल रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश बिक्री के कगार पर है, मतलब हिमाचल ऑन सेल का काम जोर-शोर से चल रहा है। राज्य पर्यटन बोर्ड के होटल को अगर देखे तो पहले 18 बिक रहे थे फिर 14 और अब लेटेस्ट फिगर 6 की आई

Jul 18, 2025 - 19:41
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पर्यटन विकास निगम के होटलों को बेच कर ही मानेंगे सीएम : संदीपनी

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  18-07-2025
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संदीपनी भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल पर्यटन बोर्ड के होटलो को बेचकर ही दम लेंगे मुख्यमंत्री। उन्होंने कहा कि हम प्रथम दिन से बोल रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश बिक्री के कगार पर है, मतलब हिमाचल ऑन सेल का काम जोर-शोर से चल रहा है। राज्य पर्यटन बोर्ड के होटल को अगर देखे तो पहले 18 बिक रहे थे फिर 14 और अब लेटेस्ट फिगर 6 की आई है। इस सरकार के प्रतिनिधियों की मंशा साफ हो जाती है कि वह हिमाचल प्रदेश के होटलो को निजी हाथों में देकर ही दम लेंगे क्योंकि शायद उनका विजन ही यह है। 
पहले बाहर से आने वाले मालदार लोगों को ढूंढो और उनको हिमाचल प्रदेश की संपत्ति बेच डालो। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) कर्मचारी संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भेंट की और संघ की विभिन्न मांगों से उन्हें अवगत करवाया। एसोसिएशन ने निगम के होटलों को निजी क्षेत्र में देने का विरोध किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि एचपीटीडीसी के छह होटल जैसे एप्पल ब्लॉज़्म फागू, लेक व्यू बिलासपुर, होटल चांशल रोहडू, होटल रोस कॉमन कसौली, होटल सरवरी कुल्लू और होटल ममलेश्वर चिंडी का संचालन एचपीटीडीसी द्वारा ही किया जाएगा। 
संदीपनी भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जो सब के पेड़ों का कटान हो रहा है वह बच सकते थे पर सरकार का ऐसा कोई  ऐसा प्लान ही नहीं था कि उनको बचना चाहिए। अगर यह पेड़ खड़े रहते तो शायद उसको कोई हिमाचल प्रदेश का उपक्रम एक आए के साधन बनाने में कामयाब होता और उसे उपक्रम की आय बढती। पर हिमाचल सरकार ने तो एक श्वेत पत्र ही दे दिया कि हम इन पेड़ों की देखभाल नहीं कर सकते, इसलिए यह फलदार पेड़ काटे जा रहे हैं और अब मुख्यमंत्री जनता के आगे ढोंग रचने का प्रयास कर रही है कि वह तो इन पेड़ों को बचाने के हक में थे पर ऐसा कुछ नहीं था, सच्चाई साफ है जो दुनिया को दिख रही है।

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