पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उहल नदी में ब्राउन ट्राउट मछली का संग्रहण : विवेक चंदेल

निदेशक, मत्स्य, विवेक चंदेल ने आज यहां बताया कि बरोट घाटी की उहल नदी में दस हजार ब्राउन ट्राउट मछली फिंगरलिंग्स का संग्रहण किया

Feb 26, 2025 - 12:27
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पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उहल नदी में ब्राउन ट्राउट मछली का संग्रहण : विवेक चंदेल

यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी    26-02-2025

निदेशक, मत्स्य, विवेक चंदेल ने आज यहां बताया कि बरोट घाटी की उहल नदी में दस हजार ब्राउन ट्राउट मछली फिंगरलिंग्स का संग्रहण किया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य मत्स्य विभाग ट्राउट फिश फार्म बरोट और ट्राउट फिश फार्म धमवाड़ी, जिला शिमला में क्रमशः ब्राउन ट्राउट मछली की नॉर्वेजियन और डेनमार्क प्रजातियों का सफलतापूर्वक पालन-पोषण किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि ब्राउन ट्राउट मछली प्राकृतिक आवास में अच्छी तरह से पनपती है। पारंपरिक मछली पालन में इसका पालन तथा प्रजनन करना मुश्किल है। विभाग द्वारा ब्राउन ट्राउट मछलियों का संग्रहण विभिन्न नदी-नालों में किया जाता है। इस पहल का उद्देश्य घाटी में मछली पकड़ने से संबंधित पर्यटन की बढ़ती मांग को पूरा करना है। 

उहल नदी अपने प्राचीन जल और सुरम्य परिवेश के साथ, ट्राउट मछली पकड़ने के लिए एक आदर्श आवास प्रदान करती है। विभाग ने नदी के हिस्सों को संभावित मछली पकड़ने के स्थानों के रूप में पहचाना है, जिन्हें पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विकसित और प्रचारित किया जा रहा है।

ब्राउन ट्राउट मछली के संग्रहण से घाटी में एकलिंग पर्यटन के बढ़ने की उम्मीद है साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि विभाग मंडी जिले की विभिन्न नदियों में भविष्य में भी ब्राउन ट्राउट मछली के फिंगरलिंग्स का संग्रहण जारी रखेगा, जिससे प्रदेश में मछली से संबंधित पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ मछली प्रजातियों के संरक्षण को सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी।

विवेक चंदेल ने बताया कि मत्स्य विभाग ने ब्राउन ट्राउट के आनुवंशिक कायाकल्प की भी पहल की है और किसानों के बीच रेनबो ट्राउट के पालन को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में तीन विभागीय फार्म, जिनमें ट्राउट फार्म बरोट, ट्राउट फार्म धमवाड़ी तथा ट्राउट फार्म हामनी, बंजार में शामिल है।

उन्होंने बताया कि उहल नदी में ब्राउन ट्राउट बीज संग्रहण किए जाने से घाटी में मछली पकड़ने के पर्यटन की बढ़ती मांग को पूरा करने की उम्मीद है। चूंकि तीर्थन और बरोट घाटी को मछुआरों के स्वर्ग के रूप में जाना जाता है, इसलिए इस पहल से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
 

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