यंगवार्ता न्यूज़ - लाहौल 24-09-2025
पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आज आपदाग्रस्त लाहौल स्पीति के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर लोगों से मुलाकात किया और उनका दुख दर्द बांटा। इस दौरान वह केलाँग तक गए और आपदा प्रभावित लोगों से मिलकर राहत और बचाव कामों की जानकारी ली। हर जगह सरकार ने लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। मीडिया से बात करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा किलाहौल के हालत तो और खराब हैं। आपदा ने यहां जमकर तबाही मचाई है और सरकार ने आँखे मूँद रखी हैं। जिससे झालावाड़ और भी भयावह हो गए हैं। वह लोगों के कहने पर खेतों में भी गए जहां गोभी की फसल खराब होने की वजह से किसानों को लाखों का नुकसान हुआ था। उन्होंने कहा कि गोभी और मटर की लाहौल में बम्पर फसल हुई थी।
लेकिन आपदा में सड़कें बंद होने की वजह से बाजार तक नहीं पहुंच पाई और अब खेतों में ही सड़ रही है। पूरे क्षेत्र में महामारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है। जिससे निपटने की आवश्यकता है। आपदा और सड़कें बंद होने की वजह से लोगों को दोहरा नुकसान हो रहा हैं। इस नुकसान की भरपाई कैसे होगी। सरकार को इसका रास्ता निकालना होगा लेकिन जिस रास्ते पर सरकार चली है उससे यह साफ़ है कि सरकार को यहां हुए नुकसान का अंदाजा नहीं है। सरकार को इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए और लोगों के नुकसान की भरपाई का इंतजाम करे। हालात को देखते हुए सरकार लाहौल के आपदा प्रभावितों के लिए विशेष कदम उठाए और केंद्र से मिली राहत लोगों तक पहुंचाए। शाशिन, कोकसर , सीसू , तेलिंग , ट्रिलिंग , यांगला , गोंदला , तांदी संगम घाट , लिंडूर , जालमा , हालिंग , जसराट , जोबरांग , मयार वैली , टिंगरेट, और उदयपुर वैली में प्रभावित लोगों से मिले और किसानों और बागवानों को हुए नुकसान पर उनसे चर्चा की। लिंडूर गांव में गांव धंस रहा है, लोगों के घर खतरे में आ चुके हैं। इसलिए लोगों के भले के लिए सरकार को जल्दी से जल्दी कड़े कदम उठाने पड़ेंगे।
नहीं तो पूरे गांव के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। हालिम गांव में 45 घर के लोगों की जमीन बह रही है. 50 बीघा से ज़्यादा ज़मीन बह गईं है। वह वापस नहीं लाया जा सकता लेकिन बाकी की जमीन बचाने की ज़िम्मेदारी सरकार की है। सरकार को प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। हम लोगों से मिलकर उनकी पीड़ा को समझने और उसे केंद्र सरकार और राज्य सरकार के सामने रखना हैं। अगर सरकार आज नहीं मदद करती है तो भी लोग अपने कागज दुरुस्त रखें जिससे आने वाले समय में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार आए तो हम सभी की मदद कर सकें। इस दौरान उन्होंने लाहौल घाटी के आराध्य राजा घेपन जी के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया और प्रदेश के कल्याण की प्रार्थना की। मीडिया के सवाल के जवाब में जयराम ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार ने पैसा भेजा है। सुक्खू सरकार में सिर्फ आपदा के प्रबंधन के क्लाई सरकार को 5500 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता की जा चुकी है, लेकिन सरकार वह पैसा आपदा प्रभावितों को देने की बजाय सरकार चलाने में खर्च कर रही है। प्रधानमंत्री स्वयं आपदा अप्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और हिमाचल को 1500 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज दिया है।
आपदा से प्रभावित हुई सुविधाओं को बहाल करने के लिए पैसे दिए हैं। लेकिन राज्य सरकार की मंशा आपदा राहत के लिए आए पैसों को आपदा प्रभावितों पर खर्च करने के बजाय अन्य जगहों पर खर्च कर रही है, इसीलिए आपदा प्रभावितों को राहत देने के लिए सरकार द्वारा प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इस मौके पर उनके साथ संगठन मंत्री सिद्धार्थन, लाहौल-स्पीति के पूर्व विधायक रवि ठाकुर, प्रदेश प्रवक्ता अखिलेश कपूर,पूर्णकालिक विस्तारक मंडी संसदीय क्षेत्र सुरेश शर्मा समेत अन्य पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यूपीए सरकार में सीमेंट पर 30% टैक्स लगता था। जिसे मोदी सरकार ने घटाकर 18 प्रतिशत किया। जिससे लोगों को सीमेंट के प्रति बोरी दाम पर 35 से 38 रुपये की बचत हो रही थी। लेकिन सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने सीमेंट पर एडिशनल गुड्स टैक्स में 5.90 रुपए की वृद्धि कर दी। सत्ता में आते ही सुखविंदर सिंह की सरकार में डीजल पर वैट बढ़ाकर डीजल के दाम में 6.50 रुपए बढ़ा दिए थे।
अब जब आपदा से प्रदेश के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 93000 घर दिए हैं और सीमेंट पर लगने वाली जीएसटी को 10% किया है तो सुक्खू सरकार ने एजीटी बढ़ाकर आपदा प्रभावितों के घर बनाने की राह मुश्किल कर रही है। जयराम ठाकुर ने कहा आज महीने की 24 तारीख हो गई है और एचपीटीडीसी के कर्मचारियों के खाते में तनख्वाह नहीं आई तनख्वाह हर कर्मचारी के परिवार पालने का साधन होता है। घर के राशन किराए से लेकर मां-बाप की दवाई और बच्चों की पढ़ाई तनख्वाह के दम पर ही लोग करते हैं। ऐसे महीने के अंत तनख्वाह न आने से लोगों के परिवार कैसे पलेंगे ? सरकार कहती है कि इस वर्ष एचपीटीडीसी ने 107 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया है तो सवाल यह है कि वह पैसा जा कहां रहा है? सरकार की पहली प्राथमिकता ही अपने कर्मचारियों को वेतन देने की होनी चाहिए? लेकिन लोगों को वेतन नहीं दिया जा रहा है।