न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली 01-10-2024
हिमाचल प्रदेश में रोहतांग दर्रे पर भारतीय वायुसेना के एएन-12 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के 56 साल से अधिक समय बाद चार और शव बरामद किए गए। शवों को भारतीय सेना के डोगरा स्काउट्स और तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू के कर्मियों की एक संयुक्त टीम ने बरामद किया। बता दें कि यह शव 1968 में हुए एक विमान दुर्घटना में शहीद हुए जवानों के हैं। यह दुर्घटना एंटोनोव-12 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के क्रैश होने के कारण हुई थी , जिसकी वजह खराब मौसम बताई गई थी। पिछले 56 सालों से जारी इस सर्च ऑपरेशन में यह अब तक के शवों की खोज का सबसे लंबा अभियान है।
गौरतलब है कि 7 फरवरी 1968 को चंडीगढ़ से भारतीय वायुसेना के एक विमान ने लेह के लिए उड़ान भरी थी। विमान में पायलट और क्रू मेंबर सहित कुल 102 लोग सवार थे। बीच रास्ते में मौसम खराब होने पर पायलट ने विमान को वापस ले जाना चाहा लेकिन रोहतांग दर्रे के ऊपर विमान से रेडियो संपर्क टूट गया। विमान का मलबा नहीं मिला जिसके चलते सभी 102 लोगों को लापता घोषित कर दिया गया। दशकों तक विमान का मलबा और शवों के अवशेष बर्फीले क्षेत्र में दबे रहे। इसके बाद साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के पर्वतारोहियों ने विमान का मलबा ढूंढ लिया।
इस दौरान पर्वतारोहियों को एक शव के अवशेष भी मिले, जिसकी पहचान विमान में सवार सिपाही बेली राम के रूप में हुई। इसके बाद सेना और डोगरा स्काउट्स ने कई बार खोज अभियान चलाया। 2019 तक केवल पांच शवों के अवशेष ही बरामद हो सके। लेकिन अब चंद्रभागा माउंटेन एक्सपेडिशन ने चार और शव बरामद किए हैं। प्राप्त शवों में से 3 की पहचान हो गई है, जिनमें आर्मी मेडिकल कॉर्प के सिपाही नारायण सिंह, पाययनीर कॉर्प के सिपाही मलखान सिंह और थॉमस चरण के तौर पर हुई है। चौथे शव की अभी पहचान नहीं हो पाई है, क्योंकि उसके दस्तावेजों पर लिखी जानकारी मिट चुकी है।