यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 31-10-2024
हिमाचल में संजौली मस्जिद विवाद के बाद नई स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी पर जारी काम के बीच एक बड़ी अपडेट आई है। हिमाचल सरकार उत्तर प्रदेश सरकार की तरह हर स्ट्रीट वेंडर के लिए नाम डिस्प्ले करना जरूरी नहीं करेगी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर सिफारिशें शहरी विकास विभाग ने तैयार की हैं। इनमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के बाद आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में नाम डिस्प्ले करना जरूरी नहीं किया गया है।
इस पूरे ऑर्डर को देखने के बाद अब कुछ रिकमेंडेशन तैयार की गई हैं। दूसरी ओर, विधानसभा कमेटी के अध्यक्ष उद्योग मंत्री हर्षवर्धन सिंह चौहान ने 4 नवंबर को इस कमेटी की अगली बैठक बुला ली है। इस बैठक पर इन रिकमेंडेशन पर चर्चा होगी। साथ ही लोगों की ओर से आए सुझावों पर भी गौर किया जाएगा। राज्य सरकार की इस कमेटी ने लोगों से भी सुझाव लिए थे। यह सुझाव दिया जा रहा है कि हर स्ट्रीट वेंडर का रजिस्ट्रेशन नंबर होगा, जिसे उसे डिस्प्ले करना होगा।
यह एक बैज के तौर पर भी डिस्प्ले हो सकता है। इन रिकमेंडेशन पर अब पहले विधानसभा की कमेटी ने फैसला लेना है और उसके बाद इसकी सिफारिश राज्य मंत्रिमंडल में रखी जाएगी। विधानसभा कमेटी की बैठक में 2014 के भारत सरकार के एक्ट पर भी चर्चा होगी। कमेटी की पिछली बैठक में कुछ सदस्यों ने लाइसेंस को सबलेट करने की का मामला भी उठाया था। इस पर भी विचार किया जाएगा कि जिस व्यक्ति को लाइसेंस जारी किया गया है वो ही इसका इस्तेमाल करे।
इस कमेटी में समिति सदस्य ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, विधायक अनिल शर्मा, सतपाल सिह सत्ती, रणधीर शर्मा और हरीश जनारथा सहित प्रधान सचिव (शहरी विकास विभाग) देवेश कुमार, विधानसभा सचिव यशपाल शर्मा और आयुक्त नगर निगम शिमला भूपेंद्र अत्री आदि शामिल होते हैं। हालांकि कमेटी जो भी सिफारिश करे, अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल नहीं लेना है।