हिमाचल के 531 गांव में आज भी नहीं है सड़क सुविधा , शिमला के 133 गांव में नहीं पहुंची भाग्य रेखाएं

  मंडी की 100 जबकि चंबा और किन्नर के 54-54 गांव में नहीं पहुंची सड़क , ऊना और लाहौल स्पीति के सभी गांव को मिल चुकी है सड़क सुविधा 

Jul 15, 2024 - 19:38
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हिमाचल के 531 गांव में आज भी नहीं है सड़क सुविधा , शिमला के 133 गांव में नहीं पहुंची भाग्य रेखाएं
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 15-07-2024
हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद भले ही पांच दशक का समय गुजर चुका है , लेकिन 5 दशक बाद भी हिमाचल प्रदेश के साढ़े पांच सौ गांव सड़क से कोसों दूर है या यूं कहे कि हिमाचल प्रदेश के साढ़े पांच सौ गांव में अभी तक भाग्य रेखाएं नहीं पहुंची है , जिसके चलते हिमाचल का समुचित विकास नहीं हो पाया है।जानकारी के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में पीडब्ल्यूडी विभाग ने ढाई सौ से कम आबादी वाले करीब 500 ऐसे गांव चिन्हित किए हैं जो अभी तक सड़क सुविधा से कोसों दूर है। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के ढाई सौ से कम आबादी वाले करीब 531 गांव में अभी तक सड़क नहीं पहुंची है जिसके चलते विकास की गति वहां पर थम सी गई है। 
जानकारी के मुताबिक विभाग द्वारा खोजे गए गांव में सबसे अधिक शिमला जिला के 133 गांव ऐसे हैं जिनकी आबादी ढाई सौ के आसपास है और उन गांव में अभी तक सड़क नहीं पहुंची है। वही मंडी जिला के 100 गांव अभी सड़क से कोसों दूर है , जबकि चंबा जिला के 54 और किन्नौर के भी 54 गांव में सड़क नहीं पहुंची है। यदि हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा की बात करते हैं तो कांगड़ा जिला में अभी तक 45 गांव को सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है। हिमाचल प्रदेश में ऊना और लाहौल स्पीति दो ऐसे जिले हैं जहां के सभी गांव सड़क सुविधा से जुड़ चुके हैं , जबकि हमीरपुर जिला के अभी भी चार गांव में सड़क नहीं पहुंची है। इसी तरह अगर सोलन की बात करते हैं तो सोलन जिला में सात गांव को अभी तक सड़क सुविधा से नहीं जोड़ा गया है। 
सिरमौर जिला में 30 गांव को सड़क नहीं मिली है , इनमें भी पांवटा साहिब के तीन जबकि जिला मुख्यालय नाहन उपमंडल के 27 गांव सड़क सुविधा से नहीं जुड़े हैं या यूं कहे कि यदि जिला सिरमौर की बात करते हैं तो जिला सिरमौर के दूर दराज के ग्रामीण इलाके तो सड़क सुविधा से जुड़ चुके हैं , लेकिन जिला मुख्यालय नाहन के साथ लगती पंचायत के 27 गांव ऐसे हैं जिन्हें अभी तक सड़क सुविधा नहीं मिली है। कुल्लू जिला के 54 जबकि बिलासपुर जिला में 70 गांव को सड़क नहीं मिली है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के चौथे चरण पर मंथन कर रही है। इस चरण में 250 तक की आबादी वाले गांवों को सडक़ से जोडऩे की संभावना है। 
समूचे देश के लिए 250 की आबादी तय की जाती है , तो पहाड़ी राज्य होने के नाते हिमाचल को आबादी में 50 फीसदी की रियायत मिल सकती है। ऐसे में प्रदेश 100 से 250 तक की आबादी वाले वे गांव जो सडक़ से अछूते हैं , उनके लिए नया रास्ता खुल सकता है। पीडब्ल्यूडी जल्द ही इस रिपोर्ट का केंद्र सरकार के सुपुर्द करने जा रही है। गौरतलब है कि पीएमजीएसवाई के प्रोजेक्ट का निर्माण 90-10 के पैकेज में होता रहा है। 90 फीसदी खर्च केंद्र सरकार करती है , जबकि 10 फीसदी की हिस्सेदारी राज्य सरकार की होती है। प्रदेश को 700 से ज्यादा प्रोजेक्ट मिलने की संभावना है। 
इस पैकेज में 3100 किलोमीटर सडक़ों का रखरखाव और विस्तार होना था। केंद्र सरकार ने प्रदेश को यह सौगात दो चरणों में दी थी। इनमें पहले चरण में 450 किलोमीटर की मंजूरी दी गई है, जबकि दूसरे चरण में 2650 किलोमीटर सडक़ों को मंजूर किया गया है। केंद्र सरकार ने पहली मर्तबा जर्मन तकनीक से सडक़ निर्माण का भी प्रस्ताव रखा है। फुल डेप्थ रेक्लेमेशन रोड (एफडीआर) के तहत 666 किलोमीटर सडक़ का निर्माण भी प्रस्तावित है। पीएमजीएसवाई के चौथे चरण में एफडीआर तकनीक में नए किलोमीटर जोड़ने की संभावना है।

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