यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 27-05-2025
आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल योजनाओं का काम जिम्मा पंचायतों को दिया जा सकता है। इसके लिए तैयारी चल रही है, जिससे पहले जलशक्ति विभाग सभी पेयजल योजनाओं की मैपिंग करवा रहा है। सूत्रों के अनुसार इस संबंध में उप मुख्यमंत्री मकेश अग्रिहोत्री ने पिछले दिनों जलशक्ति विभाग और ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसमें इस मामले को लेकर चर्चा की गई और जलशक्ति विभाग को इस पर फील्ड में मैपिंग करवाकर जल्द रिपोर्ट देने को कहा है। उनको कहा गया है कि पंचायतों में कितनी पेयजल योजनाएं हैं और किस पंचायत में कितनी योजनाएं हैं, इसकी पूरी जानकारी दी जाए। इसके बाद ही इस दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। यह मामला कैबिनेट के ध्यान में लाया जाएगा, मगर इससे पहले पूरी तैयारी की जा रही है।
सूत्र बताते हैं कि पंचायतों को ही पेयजल योजनाओं का जिम्मा दे दिया जाएगा, जो अपने हिसाब से आगे इनका संचालन करेंगी। इनका पूरा जिम्मा उन्हीं का होगा, जिससे जलशक्ति विभाग को अलग कर दिया जाएगा। इसके लिए जो पैसा खर्च होगा, वह ग्रामीण विकास विभाग देगा और माना जा रहा है कि इस खर्च को निकालने के लिए खुद पंचायतें लोगों से पैसा जुटाएंगी। आने वाले समय में इस काम को अंजाम देने के लिए पंचायतें अपने स्तर पर कुछ सरचार्ज रखेंगी और पानी की एवज में बिल और सरचार्ज का हिसाब वही देखेंगी। साथ ही पेयजल योजनाओं का उचित रखरखाव उन्हीं की जिम्मेदारी होगी। ऐसी एक योजना सरकार के ध्यान में है और इसपर विचार किया जा रहा है।
जलशक्ति विभाग ग्रामीण स्तर पर कई जगहों में अभी भी आउटसोर्स करके पेयजल योजनाएं चला रहा है। उसके पास उतने कर्मचारी नहीं हैं, जिसकी वजह से सभी पेयजल योजनाओं का सही तरह से संचालन नहीं हो पा रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं में जो पैसा है उसका इस्तेमाल इन पेयजल योजनाओं के लिए किया जा सकता है। इससे जलशक्ति विभाग पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। अभी यह निर्णय लिया जाना है कि इनकी मेंटेनेंस आदि पर कौन सा विभाग काम करेगा। पंचायतों को अधिकार देने से पैसा ग्रामीण विकास विभाग की ओर से मिल सकता है। लिहाजा जलशक्ति विभाग इस पर काम कर सकता है। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने इस मामले को लेकर दोनों विभागों को निर्देश दिए हैं। जलशक्ति विभाग से जल्द से जल्द पेयजल योजनाओं की मैपिंग का काम पूरा करने को कहा गया है, जिसने आगे फील्ड अफसरों से इस पर रिपोर्ट मांगी है।
उधर, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ने भी ईएनसी से इसपर जल्द जानकारी देने को कहा है। इससे पता चलेगा कि किस पंचायत में कितनी पेयजल योजनाएं हैं और उनसे कितने लोगों को राहत दी जा रही है। इन पर किस तरह का खर्चा होता है, पुरानी योजनाएं कितनी हैं, नई योजनाएं कितनी हैं, कितनी योजनाओं पर काम करने की जरूरत है, यह सारी जानकारी विभाग को मिलेगी। राज्य में हजारों की संख्या में पेयजल योजनाएं हैं। कई पंचायतों में एक से ज्यादा योजनाएं भी बताई जा रही हैं। कुल मिलाकर इनका पूरा आंकड़ा आने के बाद सरकार निर्णय लेगी कि पंचायतों को किस रूप में जलशक्ति की पेयजल योजनाएं सौंपी जाएं और कौन सी एजेंसी इस पर किस तरह से आगे काम करेगी।