प्राकृतिक खेती से और ज्यादा मजबूत होगी हिमाचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था : सीएम
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्राकृतिक खेती से हिमाचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और ज्यादा मजबूत हो रही है। प्राकृतिक खेती से जहां मानव और पर्यावरण को रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों से बचाया जा रहा
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यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 15-02-2025
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्राकृतिक खेती से हिमाचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और ज्यादा मजबूत हो रही है। प्राकृतिक खेती से जहां मानव और पर्यावरण को रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों से बचाया जा रहा है। वहीं खेती की लागत कम होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है।
प्रदेश की 3592 पंचायतों में एक लाख 98 हजार किसान 35 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती से विविध फसलें उगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती पर विशेष बल देते हुए वित्तीय वर्ष 2024.25 के लिए 15 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती करने से कृषि की लागत में औसतन 36 फीसदी की कमी आई है और उत्पादों के औसतन आठ फीसदी अधिक दाम मिले हैं। प्राकृतिक खेती कर रहे 75 फीसदी किसान-बागबान फसल विविधिकरण की ओर अग्रसर हुए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने आगामी दस वर्षों में राज्य को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने के लिए आत्मनिर्भर हिमाचल की परिकल्पना की है। कुल्लू, नाहन और नालागढ़ में 20,000 लीटर प्रतिदिन क्षमता वाले प्लांट स्थापित किए जाएंगे जबकि ऊना और हमीरपुर में आधुनिक मिल्क चिलिंग प्लांट की योजना बनाई जा रही है।
मिल्कफेड वर्तमान में प्रतिदिन दो लाख लीटर दूध खरीद रहा है और एक अग्रणी पहल के रूप में ऊना जिले में बकरी का दूध 70 रुपए प्रति लीटर की दर पर खरीदा जा रहा है। मुख्यमंत्री सखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए 500 करोड़ रुपए की हिम गंगा योजना शुरू की गई है।
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हाल ही में सात जिलों में बागबानी और सिंचाई परियोजनाओं के लिए 1,292 करोड़ रुपए की योजना शुरू की है। हिमाचल दूध के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने वाला देश का पहला राज्य है जहां गाय का दूध 45 रुपए प्रति लीटर और भैंस का दूध 55 रुपए प्रति लीटर की दर पर खरीदा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि दत्तनगर में 50,000 लीटर प्रतिदिन की क्षमता के दूध प्रसंस्करण संयंत्र से 20,000 से अधिक डेयरी किसान लाभान्वित होंगे। इसके अलावा कांगड़ा जिले के ढगवार में पूरी तरह से स्वचालित दूध और दूध उत्पाद प्रसंस्करण संयंत्र की आधारशिला रख दी गई है।
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