आईआईटी रोपड़ के प्रोफैसरों ने बताई भूकंपरोधी भवन निर्माण की तकनीकें , पुराने भवनों को कैसे बनाये भूकंप रेट्रोफिटिंग 

आईआईटी रोपड़ के सिविल इंजनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफैसर डॉ मितेश सुराना और डॉ आदित्य सिंह राजपुत ने सेन्टर फॉर एजुकेशन ऑन वर्नाकुलर ऑरकिटेक्चर कार्यक्रम के अर्न्तगत डीआरडीए हॉल मंडी में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में सुरक्षित भवन निर्माण और भवनों को भूकंप रेट्रोफिटिंग मूल्यांकन की तकनीकों बारे जानकारी दी

Aug 16, 2024 - 18:11
Aug 16, 2024 - 18:17
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आईआईटी रोपड़ के प्रोफैसरों ने बताई भूकंपरोधी भवन निर्माण की तकनीकें , पुराने भवनों को कैसे बनाये भूकंप रेट्रोफिटिंग 

यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी  16-08-2024
आईआईटी रोपड़ के सिविल इंजनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफैसर डॉ मितेश सुराना और डॉ आदित्य सिंह राजपुत ने सेन्टर फॉर एजुकेशन ऑन वर्नाकुलर ऑरकिटेक्चर कार्यक्रम के अर्न्तगत डीआरडीए हॉल मंडी में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में सुरक्षित भवन निर्माण और भवनों को भूकंप रेट्रोफिटिंग मूल्यांकन की तकनीकों बारे जानकारी दी। कार्यशाला का आयोजन जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण मंडी द्वारा आईआईटी रोपड़ के सहयोग से डीआरडीए हॉल मंडी में किया गया था। उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए बताया कि मंडी जिला में 26 सरकारी भवनों को भूकंप से सुरक्षित करने के लिए उनका भूकंप रेट्रोफिटिंग (पुनरोद्वार) मूल्यांकन करवाया जा रहा है। 
रेट्रोफिटिंग के उपरांत यह भवन भूकंप आने पर भी सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने बताया कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण मंडी द्वारा भवन निर्माण में लगे कारीगरों को भूकंपरोधी निर्माण करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। कार्यशाला में लोक निर्माण, जल शक्ति, विद्युत, नगर नियोजन, नगर निगम, नगर पंचायत और खण्ड विकास कार्यालयों में कार्यरत इंजीनियरों ने भाग लिया। आईआईटी रोपड़ के सहायक प्रोफेसर डॉ मितेश सुराना और डॉ आदित्य सिंह राजपुत ने बताया कि भूकंप से लोगों की जान नहीं जाती है बल्कि भवनों के गिरने से जाती है। इसलिए हमें भूकंपरोधी भवन निर्माण करना चाहिए। भूकंपरोधी मकान बनाने का खर्च भवन की कुल लागत का केवल 5 से 10 प्रतिशत होता है। 
उन्होंने मंडी जिला में ढलानदार भूमि होने के कारण सुरक्षित भवन निर्माण के लिए भूमि के तल को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया भवन निर्माण के लिए सबसे पहले पत्थरोें की चिनाई करें और बाद में  पहाड़ी से पीछे हटकर निर्माण करें। उन्होंने निर्मित भवनों को भूकंपरोधी बनाने की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पहाड़ी इलाकों में परपरागत शैली काठकुन्नी शैली के मकान भूकंप की दृष्टि से मजबूत हैं। इसलिए संभव हो तो परंपरागत शैली से निर्माण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण मिस्त्री की सलाह पर नहीं बल्कि इंजीनियर की सलाह पर करना चाहिए। कार्यशाला में एडीएम डॉ मदन कुमार ने भी बहुमूल्य सुझाव दिए। आईआईटी रोपड़ के शोधार्थी बिपुल शर्मा और क्षितिज चाहल कार्यशाला में उपस्थित रहे। 

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