मानसून सत्र : केंद्र सरकार कोई मदद करें या नहीं , 26 सितंबर को करेंगे राहत पैकेज की घोषणा : सुक्खू 

हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र आज शुरू हो गया है। राष्ट्रगान के साथ सदन की कार्यवाही शुरू हुई। स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने सत्तापक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों का अभिनंदन किया। उन्होंने सभी सदस्यों से सदन की कार्यवाही के संचालन में सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि वह आशा करते हैं कि सात दिन तक चलने वाले इस सदन में नियम की परिधि में रहकर ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य चर्चा करेंगे

Sep 18, 2023 - 20:14
 0  40
मानसून सत्र : केंद्र सरकार कोई मदद करें या नहीं , 26 सितंबर को करेंगे राहत पैकेज की घोषणा : सुक्खू 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  18-09-2023

हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र आज शुरू हो गया है। राष्ट्रगान के साथ सदन की कार्यवाही शुरू हुई। स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने सत्तापक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों का अभिनंदन किया। उन्होंने सभी सदस्यों से सदन की कार्यवाही के संचालन में सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि वह आशा करते हैं कि सात दिन तक चलने वाले इस सदन में नियम की परिधि में रहकर ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य चर्चा करेंगे। प्रदेश हित के विभिन्न मुद्दों पर इस सदन में सार्थक चर्चा होगी। पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश आपदा से जूझ रहा है। इससे निपटने को प्रदेश की जनता ने खूब सहयोग दिया है। उल्लेखनीय है कि यह चौदहवीं विधानसभा का तीसरा सत्र है। यह 25 सितंबर तक चलेगा। इसमें सात बैठकें होंगी। शनिवार को आम तौर पर सत्र के दौरान अवकाश रहता है पर इस बार अवकाश नहीं होगा। केवल रविवार को ही अवकाश होगा। पिछले साल मानसून सत्र में केवल चार बैठकें हुईं। 

उस वक्त यह सत्र भी एक महीने पहले हो गया था। यानी अगस्त में ही आयोजित हुआ। इस बार यह आपदा के चलते एक महीने से ज्यादा देरी से हो रहा है। दिवंगत विधायक खूब राम को श्रद्धांजलि देते हुए सदन में शोकोद्गार प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। जयराम, आनी के विधायक लोकेंद्र कुमार ने भी चर्चा में भाग लिया। प्रदेश में आपदा से सैकड़ों लोगों की मृत्यु होने पर शोकोद्गार व्यक्त किया गया। 2:20 बजे शोकोद्गार समाप्त हुआ तो उसके बाद स्पीकर ने प्रश्नकाल की घोषणा की। मगर विपक्ष ने सारा काम रोककर केवल आपदा पर चर्चा करने को कहा। राकेश जम्वाल, इंद्र सिंह, बलवीर सिंह वर्मा, विपिन सिंह परमार आदि भाजपा सदस्यों ने नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव दिया। इस पर स्पीकर पठानिया ने कहा कि इस विषय पर नियम 102 में भी चर्चा के लिए नोटिस आया है। ऐसे में नियम 67 के बजाय इस नियम में पहले से ही चर्चा के लिए नोटिस को मंजूर किया जा चुका है। सदन में विपक्ष और सत्ता पक्ष के विधायकों में हल्की नोकझोंक भी हुई।  

स्पीकर पठानिया बोले प्रश्नकाल को शुरू किया जा रहा है। इस पर जयराम ने कहा कि एक ओर बोला जा रहा है कि सदी की सबसे बड़ी त्रासदी से प्रदेश गुजर रहा है। ऐसे में सारा काम रोककर इस पर चर्चा होनी चाहिए। नियम 102 और नियम 67 के दोनों प्रस्तावों के भाव में फर्क है। 441 लोगों की ज़िंदगी चली गई है। यह आपदा नियमों की परिधि से हटकर है। संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि यह विषय हट कर है। आपदा पर चर्चा लगी हुई है। पिछले कल ही इस बारे में पहले ही जयराम ठाकुर को बताया जा चुका है। भाजपा का यह प्रस्ताव राजनीति से प्रेरित है। सरकार इस बारे में चिंतित है। ये लोग आधे घंटे भी इंतजार नहीं कर पा रहे हैं। नियम 102 में चर्चा करवाई जाए। जिस तरह से आपदा में अच्छा काम किया गया है, उसकी तारीफ पूर्व सीएम शांता कुमार ने भी की है। नीति आयोग और विश्व बैंक ने भी इसकी तारीफ है। ये लोग राजनीति कर रहे हैं। 

विपक्ष स्थगन प्रस्ताव पर अड़ा हुआ है। स्पीकर पठानिया नेता प्रतिपक्ष जयराम की ओर बोले - मैं आपकी भावना समझ गया। विषयवस्तु दोनों की एक है। यह मैंने निर्णय लेना है कि आपने लेना है। अगर ऐसी ही बात है तो प्रश्नकाल को सस्पेंड कर देते हैं और नियम 102 में चर्चा कर लेते हैं। वह इस नियम में ही इस चर्चा को शुरू करते हैं। मुख्यमंत्री ने नियम 67 के बजाय नियम 102 में प्रस्ताव रखा और प्रश्नकाल को निलंबित किया गया। इस पर विपक्ष ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि इस आपदा में 441 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। कुल्लू में लारजी प्रोजेक्ट को बहुत क्षति पहुंची है। प्रदेश के बिजली प्रोजेक्टों को 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री के वक्तव्य के बीच विपक्ष ने वाकआउट कर दिया। 

विपक्ष के बाहर जाने के बाद सीएम सुक्खू ने कहा कि आपदा के वक्त भाजपा के लोग कह रहे थे कि मानसून सत्र बुलाया जाए। आज ये सत्र में गंभीर नहीं है। सरकार ने नियम 102 के तहत प्रस्ताव दिया। इन लोगों के प्रस्ताव को भी अटैच किया गया है। इन्हें चर्चा में भाग लेना चाहिए। मगर ये गंभीर नहीं हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान आपदा के कारण राज्य के संसाधन गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से भी मुलाकात की है। प्रदेश को एक राहत पैकेज की तुरंत आवश्यकता है। इससे पूर्व कभी ऐसी आपदा नहीं हुई। यह आपदा भुज भूकंप, केदारनाथ आपदा और जोशीमठ भूमि रिसाव से भी बड़ी है। इन्हीं की तर्ज पर हिमाचल की इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए। वह सभी प्रदेशवासियों का धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने बढ़-चढ़कर योगदान दिया। 

वह विभिन्न सरकारों का भी योगदान देने के लिए धन्यवाद करते हैं। एक व्यक्ति मेरे पास आया और बोला कि जीवन में कभी किसी को चाय नहीं पिलाई, उन्होंने भी योगदान दिया। वह उनका धन्यवाद करते हैं। भाजपा विधायकों ने तो एक महीने का वेतन अभी तक नहीं दिया है। बच्चों ने गुल्लक तोड़कर मदद की है। विपक्ष सदन में लौटा तो बोले कि अच्छा हुआ कि भाजपा विधायक प्रस्ताव पेश करने के समय आ गए। प्राकृतिक आपदा प्रभावितों के लिए प्रदेश सरकार विशेष राहत पैकेज लाएगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विधानसभा में यह घोषणा की। सदन में आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का सरकारी संकल्प प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने विपक्षी विधायकों से भी संकल्प का समर्थन करने का आग्रह किया।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow