सोलन में 27वें राष्ट्रीय मशरूम मेले का राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने किया शुभारंभ
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने सोलन में 27वें राष्ट्रीय मशरूम मेले का शुभारंभ करते हुए कहा कि मशरूम की जीवन अवधि (शेल्फ लाइफ) बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा शोध करने की जरूरत
यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन 11-09-2024
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने सोलन में 27वें राष्ट्रीय मशरूम मेले का शुभारंभ करते हुए कहा कि मशरूम की जीवन अवधि (शेल्फ लाइफ) बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा शोध करने की जरूरत है। मेले में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे राज्यपाल ने इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने और अधिक से अधिक लोगों को इसके साथ जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।
मेले का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन द्वारा संयुक्त तौर पर किया जा रहा है। निदेशालय को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह मेला वर्ष 1998 से लगातार हर वर्ष आयोजित किया जा रहा है। इसी दिन वर्ष 1997 में सोलन को मशरूम सिटी का नाम मिला।
बीते 27 वर्षों में कई उत्पादकों ने मशरूम की खेती को रोजगार के तौर पर अपनाया है। उन्होंने कहा इस लंबे अरसे के दौरान मशरूम उत्पादकों ने मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन की तकनीक के द्वारा विभिन्न प्रकार की किस्में विकसित की हैं।
राज्यपाल ने कहा कि वर्ष 1970 के अंत में भारत में मशरूम की खेती शुरू हुई और आज दुनिया के लगभग 100 देशों में इसकी खेती की जा रही है। भारत में जहां 10 वर्ष में मशरूम का उत्पादन एक लाख टन था वह आज 3.50 लाख टन पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन में भारत चौथे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि मशरूम की खेती एक छोटे से कमरे से शुरू कर किसान दो तीन माह के भीतर आय अर्जित कर सकते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि व्यावसायिक उत्पादन के अलावा जंगली मशरूम गुच्छी और कीड़ा-जड़ी मशरूम की ऐसी प्रजातियां हैं जिन पर शोध की आवश्यकता है। अगर गुच्छी और कीड़ा-जड़ी के उत्पादन वृद्धि होगी तो इसके अच्छे दाम मिल सकते हैं।
उन्होंने किसानों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर मेले, सेमिनार, प्रशिक्षण और प्रदर्शनियां आयोजित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। राज्यपाल ने असम के अनुज, महाराष्ट्र के गणेश, ओडिशा के प्रकाश चंद, बिहार की रेखा कुमारी और केरल के शिजे को प्रगतिशील मशरूम उत्पादक पुरस्कार से सम्मानित किया।
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