नगर पंचायतों में प्रशासक लगाने का निर्णय वापिस ले सुक्खू सरकार : वीरेंद्र कंवर
हिमाचल प्रदेश सुक्खू सरकार ने 14 नगर पंचायतें बनाई थी। जिसकी व्यवस्था चलाने के लिए संबंधित एसडीएम को एडमिनिस्टर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। नगर पंचायत के सभी विभागों के समन्वय और सुचारु संचालन की जिम्मेदारी प्रशासक पर रहेगी
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 19-01-2025
हिमाचल प्रदेश सुक्खू सरकार ने 14 नगर पंचायतें बनाई थी। जिसकी व्यवस्था चलाने के लिए संबंधित एसडीएम को एडमिनिस्टर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। नगर पंचायत के सभी विभागों के समन्वय और सुचारु संचालन की जिम्मेदारी प्रशासक पर रहेगी।
क्षेत्र में प्रस्तावित विकास योजनाओं और परियोजनाओं को लागू करना तथा समय पर उनकी प्रगति सुनिश्चित करना, स्वच्छता, जल आपूर्ति, सड़कों की मरम्मत, बिजली व्यवस्था, अन्य बुनियादी सुविधाओं का सुधार सुनिश्चित करने के कार्यों की देखरेख भी यही करेंगे।
स्थानीय निवासियों की समस्याओं को सुनना और उनका शीघ्र समाधान करना, नगर पंचायत की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए कर वसूली और अन्य आय स्रोतों का प्रभावी प्रबंधन करना, यदि भविष्य में पंचायत चुनाव होते हैं, तो प्रशासक चुनावी प्रक्रिया के लिए तैयारियां करेंगे। इस फैसले का पूर्व पंचायतीराज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने विरोध करते हुए इस निर्णय को तत्काल प्रभाव से वापिस लेने की बात कही है।
उन्होंने कहा यह निर्णय पंचायत प्रतिनिधि विरोधी है। पूर्व मंत्री वीरेंद्र कंवर ने सुक्खू सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले दिनों सरकार ने कुछ नगर निगम नगर परिषद और नगर पंचायत बनाई और और उसके बाद जो पंचायतें उनके अधीन आयी हैं चाहे नगर पंचायते बनाई या परिषदें व निगम बनाएं ।
उन नगर निगम पंचायत प्रतिनिधियों के ऊपर प्रशासक को लगाना व जनता के प्रतिनिधियों की शक्तियों को न रखना यह सरकार का बिल्कुल गलत निर्णय है।यह सरकार का बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय है।जनता प्रतिनिधियों को पांच वर्ष के लिए चुनती है जबकि वर्तमान सरकार ने न केवल उनकी शक्तियां छीनी है बल्कि उन प्रतिनिधियों के संवैधानिक हक से उन्हें वंचित कर दिया है।
उन्होंने कहा कि सरकार यह कहना कि उस जनप्रतिनिधि को वेतन व भत्ते मिलते रहेंगे लेकिन वह प्रतिनिधि कर कुछ नही कर सकता।उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि वेतन भोगी नही है यह बहुत ही हास्यपद स्थिति प्रदेश में बनी हुई है। सरकार को चेताते हुए कहा कि जल्द ही इस निर्णय को वापिस ले अन्यथा जनप्रतिनिधि उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखेंगे।सरकार के इस निर्णय से लोगों के कार्य रुक जाएंगे।
What's Your Reaction?